अजमेर में चातुर्मास के लिए आए मुनि श्री 108 शुभम सागर जी एवं मुनि श्री 108 सक्षम सागर जी संस्थाओं में बढ़ता विवाद देख विहार कर गए

अजमेर ! अजमेर दिगंबर जैन संस्थाओं में हो रहे विवाद को बढ़ता देख चातुर्मास (वर्षा योग) के लिए राजस्थान प्रांत के जैन बाहुल्य शहर अजमेर मे आए मुनि श्री 108 शुभम सागर जी व मुनि श्री 108 सक्षम सागर जी कर गए किशनगढ़ विहार अजमेर दिगंबर जैन समाज में विगत दिवस एक बड़ी घटना या शर्मसार वाक्या हो गया चातुर्मास करने के लिए अजमेर आए मुनि श्री 108 शुभम सागर एवं मुनि श्री ‌108 सक्षम सागर महाराज वापस किशनगढ़ के लिए विहार कर गए। दोनों मुनि श्री आचार्य श्री 108 सुनील सागर महाराज के शिष्य हैं। आचार्य श्री 108 सुनील सागर जी महाराज किशनगढ़ में चातुर्मास के लिए विराजमान हैं। बताया जा रहा है कि दिगंबर जैन समाज के दो धड़ों में मतभेद के चलते बढ़ते मन भेद देख दोनों संतों ने यह निर्णय किया। विवाद में पड़ने की बजाय दोनों ने विहार कर जाना ही उचित समझा अजमेर दिगंबर जैन समाज में ऐसा पहली बार हुआ जब चातुर्मास के लिए आए संत चातुर्मास प्रारंभ होने से पहले ही विहार कर गए। चातुर्मास 22 जुलाई 2024 से आरंभ होना था परंतु अजमेर में 130 वर्ष पुरानी संस्था श्री दिगंबर जैन मुनि संघ सेवा समिति और पिछले 12 सालों से श्री दिगंबर जैन मुनि संघ जागृति मंच चातुर्मास कराती आ रही हैं। दो माह पहले जैन समाज को आचार्य श्री 108 सुनील सागर महाराज ने एक होकर चातुर्मास कराने की सीख दी थी। सूत्रों की जानकारी के अनुसार श्री दिगंबर जैन मुनि संघ सेवा समिति आचार्य श्री सुनील सागर महाराज का अजमेर चातुर्मास कराना चाहती थी। समिति ने महाराज से आग्रह किया। उन्होंने अपने शिष्यों मुनि श्री 108 शुभम एवं मुनि श्री 108 सक्षम सागर को अजमेर चातुर्मास करने की अनुमति दी थी। दोनों संतों ने विमत 13 जुलाई 2024 को अजमेर में मंगल प्रवेश किया था।
समिति के अध्यक्ष सुशील बाकलीवाल सहित अन्य पदाधिकारियों ने सुभाष उद्यान के सामने अतिशय क्षेत्र छोटे धड़े की नसियां में चातुर्मास करने की तैयारियां शुरू कर दी। इस बीच बड़ा धड़ा पंचायत के अध्यक्ष प्रदीप जैन पाटनी ने किशनगढ़ में दो दिन पूर्व आचार्य सुनील सागर महाराज से चातुर्मास कराने की अनुमति ले ली। जैन मुनियों ने विद्यासागर तपोवन छतरी योजना में चातुर्मास करने की इच्छा जताई। यहां भी चातुर्मास की तैयारियां शुरू हो गई। पाटनी ने धर्म प्रभावना समिति के नाम से एक संस्था बनाई, जिसके बैनर तले वे चातुर्मास कराना चाहते थे इससे समाज के ग्रुपों में मतभेद की चर्चाएं होने लगीं। यह बात जब जैन संतों के पास पहुंची तो उन्होंने अजमेर में चातुर्मास किए बिना अपने गुरु आचार्य श्री 108 सुनील सागर महाराज के पास जाने का निर्णय लिया। इस निर्णय के बाद समाज के कई लोग और संस्थाएं उन्हें मनाने के लिए पहुंचे लेकिन विनम्रतापूर्वक सभी को इंकार कर वे विहार कर गये ! विगत 91 वर्षों से हो रहे अजमेर में चातुर्मास, मगर ऐसा कभी नहीं हुआ दिगंबर जैन महासंघ के अध्यक्ष प्रमोद सोनी ने बताया कि विगत 91 वर्षों से अजमेर में चातुर्मास होते आए हैं 91 वर्षों से उनके परदादा सेठ राय बहादुर टीकमचंद सोनी ने मुनि कल्प चंद्र सागर महाराज का अजमेर में चातुर्मास कराया था। उसी वर्ष नसियां जी में मान स्तंभ भी बनाया गया। 91 वर्ष पूर्व में ब्यावर में आचार्य शांति सागर ने चातुर्मास किया और इसके बाद वे अजमेर आए और नसियां में प्रवास किया। अब तक के इतिहास में यह घटना पहली बार हुई है। ये दुखद है। अजमेर पंचकल्याणक भव्य आयोजनों का गवाह रहा है।
साधुओं को साधना से मतलब, संस्थाओं के विवाद से नहींः मुनि श्री 108 शुभम सागर यूथ हॉस्टल में किया आहार
मुनि‌ श्री शुभम एवं मुनि श्री सक्षम सागर महाराज ने यूथ हॉस्टल दोपहर 1.30 बजे आहार किया, इन्हें सुशील बाकलीवाल सहित अन्य समाज जनों ने आहार कराया। जैसवाल जैन समाज के विनीत कुमार जैन ने बताया कि उन्हें अचानक आहार के लिए स्थान की व्यवस्था के लिए समाज जनों का फोन आया, तब उन्होंने आनन-फानन में यूथ हॉस्टल में व्यवस्था कराई। इससे पहले मुनिश्री ने एक ट्रेवल्स की दुकान पर कुछ देर रुक सामयिक के बाद दोनों मुनि विहार कर गये।

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