पूर्वोत्तर प्रांत की पुण्य धरा पर वर्ष – 2024 में छ: स्थलो पर तप,साधना,आराधना का महाचातुर्मास (वर्षायोग)

असम ! दुनिया का सबसे बड़ा चार माह तक चलने वाला महोत्सव साधु-संतों का वर्षायोग होता है। जैन साधु-संत 12 महीने में आठ महीने विहार करते हैं। बरसात के समय जीवों की उत्पत्ति व हरियाली होने के कारण जीवों की रक्षा के लिए एक जगह रूककर अपनी साधना करते हैं। वह समय चार महीने का होता है। इसलिए उसे चौमासा, चातुर्मास या वर्षायोग कहते हैं । वर्षायोग के अन्तर्गत मोक्ष सप्तमी,रक्षाबंधन, दशहरा, पर्यूषण पर्व, सोलहकारण, दीपावली आदि अनेक पर्व आते हैं चातुर्मास किसी एक व्यक्ति के पुण्य से नहीं बल्कि पूरी समाज के सामूहिक पुण्य कर्म के उदय से मिलता है। साधु-साध्वियां वहीं चातुर्मास करते हैं जहां श्रद्धा, भक्ति, समर्पण और त्याग की भावना होती है। चातुर्मास भीड़ इकट्ठी करने के लिए नहीं होता। भीड़ तो एक मदारी भी इकट्ठी कर लेता है। चातुर्मास भीड़ से बचकर आत्म साधन, प्रभु आराधना, समाज उत्थान और संस्कारों की रक्षा के लिए होता है।


अति हर्ष का विषय है कि इस बार पूर्वोत्तर की पुण्य धरा पर निम्न छः जगहों पर चातुर्मास संपन्न होने जा रहे है :-
दीमापुर (नागालैंड, 9 पिच्छी)
असम राजकीय अतिथि राष्ट्र संत अहिंसा तीर्थंकर प्रणेता आचार्य 108 श्री प्रमुख सागर जी महाराज, श्रमण मुनि 108 श्री प्रभाकर सागर जी महाराज, श्रमणी आर्यिका 105 प्रीति श्री माताजी, क्षुल्लक 105 श्री प्रगुण सागर जी महाराज, क्षुल्लक 105 श्री परमानन्द सागर जी महाराज, क्षुल्लिका 105 आराधना श्री माताजी, क्षुल्लिका 105 परमसाध्या श्री माताजी, क्षुल्लिका 105 परमदिव्यता श्री माताजी एवम् क्षुल्लिका 105 परम शांता श्री माताजी एवं संघस्थ बीना दीदी, पायल दीदी एवं अशोक भैया
डिब्रूगढ़, असम (1 पिच्छी)
श्रमण मुनि 108 श्री अरिजीत सागर जी महाराज
खटखटी, असम (1 पिच्छी)
श्रमणी आर्यिका 105 श्री रतन मती माताजी
नाहरलागुन, इटानगर (अरूणाचल प्रदेश 2 पिच्छी)
श्रमणी आर्यिका 105 प्रतिज्ञा श्री माताजी एवं श्रमणी आर्यिका 105 प्रेक्षा श्री माताजी
जोरहाट, असम (6 पिच्छी)
परम पूज्य आर्यिका रत्न 105 श्री गरिमा मती, 105 श्री गंभीर मती माताजी , 105 श्री त्याग मती माताजी, 105 श्री दयांशूमति माताजी, 105 श्री विख्यातमती माताजी, क्षुल्लिका 105 श्री चंदनमती माताजी एवं संघस्थ बा.ब्र.उन्नती दीदी
दिसपुर, असम (2 पिच्छी )
श्रमण आर्यिका 105 परीक्षा श्री माताजी एवं 105 परमाध्या श्री माताजी सभी को ज्ञातव्य हो धर्म प्रभावना हेतु परम पूज्य आचार्य श्री 108 श्री प्रमुख सागर जी महाराज (13 पिच्छी) के संघ का उक्त तीन जगह (दीमापुर, नाहरलागुन एवं दिसपुर ) चातुर्मास चल रहा है।
पूर्वोत्तर की पुण्य धरा पर चातुर्मास करने जा रहे हमारे जिनशासन के सभी साधु-साध्वी अपने चातुर्मासिक स्थल पर पहुच चुके हैं या पहुच रहे हैं।
भारत वर्ष में विराजमान सभी साधु- साध्वीयों को श्री दिगम्बर जैन पंचायत, गुवाहाटी शत् शत् नमन करते हुए पूर्वोत्तर प्रांत सहित सभी जगह चातुर्मास कर रहे साधु -साध्वियों के निर्विघ्न, धर्ममय एवं ऐतिहासिक चातुर्मास संपन्नता की कामना करती है
विस्तृत जानकारी के लिए संपर्क करें :- ✍🏻
श्री दिगम्बर जैन पंचायत, गुवाहाटी (असम)

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