दिगंबर जैन ग्लोबल महासभा का श्रमण परंपरा की विहार सुरक्षा के लिए एक और सराहनीय प्रयास
नासिक ! सभी को विदित है कि जैन धर्म के गुरु महाराज अहिंसा के पालक होते है किसी वाहन से यात्रा करने पर जीव हिंसा की संभावना होती है किसी भी वाहन के नीचे आकर चींटी से लेकर कोई बड़ा जीव भी मर सकता है जबकि पैदल चलने से मार्ग में देखते हुए सावधानी पूर्वक चल सकते है। इसके अलावा साधु जीवन कष्ट सहने के लिए होता है। जैन धर्म में तप के प्रकार में काय क्लेश भी तप माना जाता है। पैदल चलने से शरीर को कष्ट पहुंचता है ठंड, धूप, भूख,प्यास आदि सहनी पडती है जबकि वाहन में बैठने से यह बात सम्भव नही है तीसरी बात जैन गुरु अपने पास रुपये पैसे नही रखते जबकि वाहन में बैठने के लिए रुपयों पैसों की आवश्यकता होती है।चौथी बात पैदल चलने से जनसम्पर्क, धर्म प्रभावना ज्यादा अच्छी तरह से होती है। इन सब कारणों से जैन गुरु महाराज पैदल ही यात्रा करते है इसी दरमियान सड़कों पर तेज गति के वाहन भी चलते हैं जो अनियंत्रित होकर गुरु महाराज व साध्वी जी को अपनी चपेट में ले लेते हैं। जिससे असमय में संतों का देवलोक गमन जैसा दु:खद परिणाम भी सामने आते हैं इसी को ध्यान में रखते हुए श्री दिगंबर जैन ग्लोबल महासभा ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को पत्र लिखकर साधु संतों की सुरक्षा की मांग करी थी जिसके फल स्वरुप आयोग ने सभी को पत्र लिखकर सुरक्षा के दिशा निर्देश दिए जिसमें गोवा राज्य ने तत्काल प्रभाव में लाते हुए गोवा पुलिस महानिरीक्षक को साधु संतों की सुरक्षा के लिए दिशा निर्देश जारी करने के लिए ग्लोबल महासभा आयोग का आभार मानते हुए धन्यवाद प्रेषित करती है।