जैन धर्म मे गुप्तदान नाम का कोई दान नहीं ~ मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी महाराज
मध्य प्रदेश ! दिगंबर जैन धर्म में गुप्त दान कोई दान नहीं है, दिगंबर जैन धर्म में धर्म कभी भी गुप्त नहीं किया जाता, गुप्त तो पाप किया जाता है धर्म नहीं। गुप्त दान की परंपरा तीन कारणों से चली- पहला कारण है वहाँ का राजा बेईमान है पता चलते ही टैक्स लगा सकता है। दूसरा चोरी से धर्म किया जाता है जहाँ पर चोर डकैत रहते है, तीसरा परिवार से छुपाकर दान दिया जा रहा है तो समझ लेना यह परिवार डाकू से भी बड़ा पापी है।
दान देने वाले को पाप नहीं है लेकिन जिनसे छुपकर दिया जा रहा है, उनका विनाश निश्चित है। मेरे पास कोई मंत्र नही लेकिन मेरे पास ऐसे टिप्स है कि यदि तुमने स्वीकार कर लिया तो जन्म जन्म तक तुम्हे कभी दरिद्रता नही आएगी, ये मेरा विश्वास है बस एक घोषणा करनी है आज के बाद हमारे घर में दान कोई छिपकर या डरकर नही देगा, क्या कहना लो- मैं सारे परिवार को दान पुण्य के लिए बरी करता हूँ। जो जितना दान देकर आएगा, उससे मैं उतना ज्यादा ही खुश रहूंगा, सारी संपत्ति भी देकर आएगा तो मैं गर्व करूँगा, उसने कोई जुए में थोड़ी हारी है।
यदि दान सरकार से छुपा कर दिया जा रहा है तो सरकार का विनाश है, वो सरकार कहीं ना कहीं से डाउन फॉल में जाएगी। नीतिकारो ने कहा कि राजा को प्रजा की यह बद्दुआ कभी मत लेना कि उसे धर्म राजा से छुपकर करना पड़े। आप नकली ट्रस्टों को पकड़िये, आप शक्ति बरतिए लेकिन उन बदमाशों के कारण सच्चे दानियों की बद्दुआ मत लीजिये कि वो दान आपसे छुपकर के दे।