मध्य प्रदेश जैन राजनैतिक चेतना मंच की नई कार्यकारिणी मे अध्यक्ष : सुभाष काला भोपाल महामंत्री : टी.के. वैद इंदौर

अध्यक्ष सुभाष काला भोपाल

महामंत्री टी.के. वैद इंदौर

कार्याध्यक्ष हंसमुख गांधी इंदौर

इंदौर ! ( देवपुरी वंदना ) संपूर्ण विश्व में प्राचीन और सबसे बड़ा जैन समाज धार्मिक ,सामाजिक, सांस्कृतिक और संस्कार के क्षैत्र मैं विख्यात रहा है। जिसे कोई भी नकार नहीं सकता विगत 24 जून 2007 को जैन राजनैतिक चेतना मंच का गठन हुआ था तब से ही यह मंच भारत के सभी प्रांतों में अपनी पैठ जमाए हुए हैं आज भी देश के सभी स्थानों पर क्षैत्रीय से राष्ट्रीय स्तर तक अपनी अहम भूमिका निभाता आ रहा है।
जिसमें पंच से लेकर सांसद तक अपने जैन समाज के प्रतिनिधियों को टिकट से लेकर जिताने तक का सफर बखूबी ढंग से निष्पक्ष निभाता आ ही रहा है जिसमें जैन समाज में राजनैतिक चेतना उत्पन्न करना और राजनीति में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना जैन समाज व विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच एक सामंजस्य बनाना जिससे हमारे साधर्मी बंधु अधिक से अधिक विधानसभा लोकसभा स्थानीय निकायों के साथ पंचायत क्षेत्र में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा सकें जैन राजनैतिक चेतना मंच में राष्ट्रीय , प्रादेशिक और आवश्यकतानुसार जिला स्तरीय पदाधिकारी अपनी सेवाएं देते आ रहे हैं ।
इसी गतिविधि को और आगे बढ़ाते हुए विगत दिनों राजस्थान प्रांत की पुण्य धरा श्री दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र चांदखेड़ी में हुए राष्ट्रीय अधिवेशन विभिन्न मुद्दों पर कार्य योजनाएं बनी साथ ही साथ जैन समाज हृदय स्थल मध्यप्रदेश
प्रांत की नई कार्यकारिणी की घोषणा हुई ।
जैन राजनैतिक चेतना मंच का राष्ट्रीय अधिवेशन व राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री गजराज जी गंगवाल (दिल्ली) की अध्यक्षता में संपन्न हुई अधिवेशन में पूर्व केबिनेट मंत्री भारत शासन प्रदीप आदित्य पूर्व केबिनेट मंत्री राजस्थान शासन जीवराज सिंधवी तथा सभी पदाधिकारी उपस्थित हुए
म. प्र. की नयी कार्यकारिणी की घोषणा भी की गई जिसमें नवीन पदाधिकारी के रूप में प्रदेश अध्यक्ष सुभाष काला भोपाल ,प्रदेश महामंत्री टी.के. वेद इन्दौर , प्रदेश कार्याध्यक्ष हंसमुख गांधी , मीडिया प्रभारी राजेश जैन दद्दू ‌ इंदौर की घोषणा की गई शेष पदाधिकारियों का मनोनयन स्थानीय स्तर पर किया जायेगा बैठक में मुख्य रूप से यह प्रस्ताव पारित हुआ की जैन जनसंख्या जो पुरे भारतवर्ष मे 3 करोड़ से ज़्यादा है शासकीय गणना अनुसार मात्र 45 लाख है
इसका एक मात्र कारण जैन समाज द्वारा अपने नाम के साथ अपना सरनेम लिखना है इस संबंध में जागरण की आवश्यकता है । जैन समाज जो सर्वाधिक शिक्षित व जागरूक समाज है उसका राजनीति में हिस्सा कम है उसे बढ़ाना है इस हेतु जन जागरण व जागरूकता रैली निकालने की योजना बनाई गई है

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