उपाध्याय श्री 108 ऊर्जयंत सागर जी महाराज का वर्षायोग-2024, गुलाबी नगरी जयपुर में
महावीर जी ! जैन श्रमण परम्परा में चातुर्मास का अत्यन्त महत्व है। यह आध्यात्मिक जागृति का महापर्व है, जिसमें स्व परहित साधन का अच्छा अवसर प्राप्त होता है। यही कारण है कि वर्षवास को मुनिचर्या का अनिवार्य अंग और महत्वपूर्ण योग माना गया है।…
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