बद्रीनाथ में मुनि श्री 108 जय कीर्ति जी गुरुदेव और चतुर्थ कालीन आहारचर्या
बद्रीनाथ ! विशिष्ट राम कथाकार अनुष्ठान विशेषज्ञ परम पूज्य ध्यान दिवाकर मुनि प्रवर 108 श्री जय कीर्ति जी गुरुदेव बद्रीनाथ में विराजमान है। आज जो दृश्य हम ने देखा और आहारचर्या के लिए गुरुदेव ने जो नियम लिए वह अकल्पनीय और चतुर्थकालीन आहारचर्या का स्मरण कर देने वाले रहे। नियम लिया जंगलों में आहार करने का तो व्यवस्था भी ऐसी बन गयी।
बद्रीनाथ का वह जंगल जहां चारों तरफ ऊंचे ऊंचे पहाड़, जो बर्फ की चादर को ओढ़े हुए, आहारचर्या के पीछे की तरफ शुद्ध जल का अतिभव्य व विशाल झरना बहता हुआ, मन को अल्हादित कर देने वाला सुरम्य वातावरण, शीतल हवाओं के झोंके और उस बीच गुरुदेव की आहारचर्या संपन्न हो रही थी। मानो चतुर्थकाल के मुनिराज की आहारचर्या हो रही हो। अद्भुत और कल्पना से परे यह नजारा था और आहार देने वाले श्रावक भी अभिभूत थे, अतिपुण्य शाली थे जिनको यह परम सौभाग्य प्राप्त हुआ। उनके पुण्य की अनुमोदना करते हैं और इन सारी व्यवस्थाओं को मूर्त रूप देने का कार्य किया विधि विशारद जिनविद्या पल्लवी दीदी और परम मुनि भक्त सम्राट भैया ने। धन्य है इनके असीम पुण्य को जिन्होंने दुर्गम राहों में भी ऐसी व्यवस्था बनाई जो अत्यंत दुर्लभ थी। वास्तव में यह भी मोक्ष मार्ग के पथिक है अनंत अनंत अनुमोदना।
ज्ञात इतिहास में पहली बार ऐसी आहारचर्या बद्रीनाथ पर संपन्न हुई अद्भुत, अदभुत, अनुपम, आँखों को सुकून देने वाला यह दृश्य था। आंनद का कोई पारावार नहीं था।
~ संजय सेठी✍🏻