4 जून से केशोरायपाटन राज. में शािस्त्र परिषद् शिक्षण-प्रशिक्षण शिविर एवं अधिवेशन

शाहगढ़ ! (देवपुरी वंदना) अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन शािस्त्र-परिषद् द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिवर्ष शिक्षण प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष का यह आयोजन राजस्थान के केशोरायपाटन में किया जा रहा है। गणिनी आर्यिका श्री 105 स्वस्तिभूषण माताजी का सान्निध्य एवं प्रेरणा प्राप्त है। जैन विद्या के विविध विषय, जैन न्याय, श्रावकाचार, मुहूर्त, प्रवचनकला आदि का प्रशिक्षण राष्ट्रीय स्तर के विद्वानों प्रदान किया जाता है। इस प्रशिक्षण शिविर में भारतवर्ष के सभी नवोदित एवं जो सीखना चाहते हैं वे सभी विद्वान् आमंत्रित होते हैं। परिषद् के यशस्वी अध्यक्ष डॉ. श्रेयांस जैन बडौत ने बताया कि 28 अक्टूबर, 1987 के मैनपुरी अधिवेशन में निर्णय लिया गया कि शास्त्रि-परिषद् दशलक्षण आदि पर्वों पर विद्वान् भेजने की व्यवस्था करेगी। नवोदित विद्वानों को विधि विधान, सिद्धान्त, आगम, दर्शन, प्रवचनकला, वास्तु, ज्योतिष आदि में निष्णात बनाने के लिए परिषद् ने 1993 से सागर में विद्वत् प्रशिक्षण शिविर का आयोजन करना प्रारम्भ किया जो कोलकाता, मेरठ, मालपुरा, झांसी, दिल्ली, छपारा, भोपाल, चंदेरी, श्रवणवेलगोला, बेंगलोर, मुम्बई से अद्यावधि जारी है, परिणामतः युवा विद्वान् भी प्रतिभाशाली बनकर समाज में जागृति का परचम लहरा रहे हैं। यदि ऐसा कहा जाए कि भारत वर्ष में जो विद्वानों की परिपक्क श्रृंखला है, उसमें इस प्रशिक्षण शिविर का विशेष योगदान है। हम आगम के अनुसार ही चलते हैं और किसी भी प्रकार विसंगतियों को कभी बढ़ावा नहीं देते हैं, अपितु उनकी रोकथाम के लिए सदैव दत्तचित्त होते हैं प्रयास करते हैं रोकते हैं। परिषद् के यशस्वी महामंत्री ब्र. जयनिशांत जैन टीकमगढ़ ने कहा – इस वर्ष का यह आयोजन दिनांक 04 जून से 09 जून 2024 तक हो रहा है। इस आयोजन में 4 जून से 8 जून 2024 तक प्रशिक्षण शिविर होगा, 09 जून को खुला अधिवेशन रखा गया है। जिसमें परिषद् के सभी विद्वानों को सादर आमंत्रित किया गया है। परिषद् के यशस्वी संयुक्त मंत्री पंडितश्री विनोद जैन रजवांस ने बताया कि 9 जून 2024 को विविध क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले विद्वानों को पुरस्कार भी प्रदान किए जायेंगे। उन्होंने पुरस्कार की आयोजन के संबंध में कहा -पुरस्कार की प्रथम संयोजना सन् 1925 जयपुर अधिवेशन में की गई, जिसमें श्री पं. मक्खनलालजी शास्त्री और श्री पं. खूबचन्द्र शास्त्री को विद्यावारिधि उपाधि से सम्मानित कर विद्वानों के सम्मान की श्रृंखला को प्रारम्भ किया गया था। प्रतिभावान, कुशल लेखक, अनुवादक, प्रखरवक्ता, शोधकर्त्ता विद्वानों को परिषद् पुरस्कार प्रदान कर उनके कृतित्व को बहुमान देती है। जिससे युवाओं को प्रेरणा मिलती है एवं उनका गौरव बढ़ता है। शास्त्री परिषद नवर्धन एवं विविध जानकारियों से परिपूर्ण बुलेटिन का प्रकाशन करता है। जो सम सामायिक विषयों को स्पर्श करती है और आगम की परम्परा को अनवरत बनाए रखने में अपना योगदान देती है। इसका सम्पादन लेखनी के धनी डॉ. सुनील जैन संचय ललितपुर द्वारा किया जा रहा है। जैन सिद्धान्त नामक शोध पत्रिका का प्रकाशन भी परिषद् कर रही है। जिसमें विषय विशेषांक तैयार करके एक विषय पर विविध पक्षों पर शोधालेखों का प्रकाश किया जा रहा है। इस बार का अंक यंत्र, तंत्र और मंत्र पर है। जो पठनीय है और विविध मिथ्या अवधारणों का परिहार करने में समर्थ है। इसका सम्पादन का उत्तर डॉ. आशीष जैन आचार्य, शाहगढ़, डॉ. पंकज जैन इंदौर, डॉ. सोनल कुमार जैन दिल्ली द्वारा निर्वहन किया जा रहा है।

डॉ. अमित जैन आकाश वाराणसी ने बताया कि शास्त्रि – परिषद् ने समय – समय पर आचार्यों, मुनिराजों, आर्यिका माताओं एवं विद्वानों के अभिनंदन ग्रन्थ एवं स्मृति ग्रन्थों का प्रकाशन किया। यथा – आचार्य महावीर कीर्ति स्मृति ग्रन्थ 1978, आचार्य धर्मसागर स्मृति ग्रन्थ, आचार्य वीरसागर स्मृति ग्रन्थ 1990, गणिनी आर्यिका ज्ञानमती माताजी अभिनंदन ग्रन्थ 1992, आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति ग्रन्थ 1998, उपाध्याय ज्ञानसागर अभिवंदना पुष्प, विद्वत् अभिनंदन ग्रन्थ 1976, पं. बाबूलाल जमादार अभिनंदन ग्रन्थ 1981, पं. सुनहरीलाल अभिनंदन ग्रन्थ 1983, पं. लालबहादुर शास्त्री अभिनंदन ग्रन्थ 1986, पं. रतनचंद मुख्तार व्यत्कित्व एवं कृतित्व 1989, पं. मक्खनलाल शास्त्री अभिनंदन ग्रन्थ, डॉ. महेन्द्रकुमार स्मृति ग्रन्थ 1996, डॉ. कस्तूरचंद कासलीवाल अभिनंदन ग्रन्थ 1998, पं. गुलाबचंद्र पुष्प अभिनंदन ग्रन्थ 2001, प्राचार्य नरेन्द्र प्रकाश अभिनंदन ग्रन्थ 2004, डॉ. शेखरचंद्र जैन अभिनंदन ग्रन्थ 2004 आदि।

इस  शिक्षण प्रशिक्षण शिविर एवं अधिवेशन का संयोजन का दायित्व डॉ. आशीष जैन आचार्य, शाहगढ़ को प्रदान किया गया है। उन्होंने बताया कि हम शािस्त्र परिषद् के विद्वानों की सूची का अपडेशन का कार्य प्रारंभ कर चुके हैं। साथ-साथ परिषद् की बेवसाइट के माध्यम से जन जन तक शािस्त्र के संदेशों को पहुंचाने के लिए भी कार्य कर रहे हैं। इस बार के प्रशिक्षण शिविर में सभी विद्वानों को उत्तम व्यवस्था प्राप्त हो और निराकुल भाव से अधिक से अधिक ग्रहण कर सके, इसके लिए हम सम्पूर्ण प्रयास कर रहे हैं। श्री दि जैन तीर्थक्षेत्र केशोरायपाटन की समस्त कमेटी विद्वानों के आगमन की प्रतीक्षा में पलक पावडे विछाए बैठी है। निश्चित ही यह अधिवेशन विद्वत्परम्परा में एक धुरी का कार्य करेगा।

~ डॉ. आशीष जैन ✍🏻आचार्य शाहगढ़ – 9329092390

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