उपाध्याय श्री 108 विहसंतसागर जी महाराज आगरा में
आगरा ! मेडिटेशन गुरू उपाध्याय श्री विहसंत सागर जी महाराज एवं मुनिश्री विश्वसम्य सागर जी महाराज ससंघ ने छीपीटोला स्थित श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर से बैंड बाजों के साथ मंगल विहार कर छीपीटोला चौराहा, निर्मल सेवा सदन, बालूगंज चौराहा, मेहर सिनेमा, राजपुर चुंगी चौराहा, शमशाबाद रोड़, इन्द्रापुरम कॉलोनी होते हुए श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर राहुल विहार पर पहुंचे। जहां बड़ी संख्या में राहुल विहार सकल जैन समाज ने उपाध्याय संघ का पाद प्रक्षालन एवं मंगल आरती कर भव्य स्वागत किया। मंगल अगवानी के बाद उपाध्याय संघ ने मन्दिर में विराजमान प्राचीन अतिशयकारी भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा के साथ ही सभी प्रतिमाओं के दर्शन किए। इस दौरान राहुल विहार सकल जैन समाज ने उपाध्याय श्री विहसंत सागर जी महाराज के समक्ष श्रीफल एवं शास्त्र दान भेंटकर मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर उपाध्याय श्री 108 विहसंत सागर जी महाराज ने भक्तों को संबोधित करते हुए कहां कि शिखर स्मृति का प्रतीक होता है। चैत्यालय और मंदिर में यही फर्क होता है। जिसमें शिखर होता है, वह मंदिर और जिसमें शिखर नहीं है वह चैत्यालय कहलाता है। भगवान के दर्शन का जो पुण्य मिलता है, वह दूर से शिखर को प्रणाम करने से मिल जाता है। किसी मंदिर की पहचान शिखर से है। जितना ऊंचा शिखर होगो उतना वैभव और ऊंचा समृद्धि शाली समाज होता है। मंदिर में दी हुई आहुति एवं मंत्र साधना से जो वर्णगणांए उत्पन्न होती हैं वह शिखर के माध्यम से आसपास के क्षेत्रों में फैल जाती है जिससे वहां रहने वाले जैन हों या अजैन, उनके लिए शांति दायक होती है। जहां शिखर होता है तो उसके 18 किलोमीटर क्षेत्र में किसी भी प्रकार की आधि, व्याधि, भूत, प्रेत, बीमारी उत्पन्न नहीं होती मीडिया प्रभारी शुभम जैन ने बताया कि मेडिटेशन गुरू उपाध्याय श्री विहसंत सागर जी महाराज एवं मुनिश्री विश्वसम्य सागर जी महाराज ससंघ का 17 मई को श्री चन्द्रप्रभु दिगम्बर जैन मन्दिर बगदा बरौली अहीर शमशाबाद रोड़ में भव्य मंगल प्रवेश होगा। इस अवसर पर सचिन जैन, दिलीप जैन, ताराचंद जैन, डां पवन जैन, रोहित जैन, विशाल जैन, राहुल जैन, रामबाबू जैन, योगेश जैन, सचिन जैन, समस्त राहुल विहार जैन समाज के लोग बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।