अजमेर के ढाई दिन के झोपड़े को देखने पहुंचे आचार्य श्री 108 सुनील सागर जी महाराज
अजमेर ! सन् 1192 में जिस संस्कृत विद्यालय को तोड़कर कुतुबुद्दीन ऐबक ने मस्जिद बनाई उसी ढाई दिन के झोपड़े पर जैन आचार्य श्री 108 सुनील सागर जी महाराज अपने ससंघ के 30 साधु संतों के साथ पहुंचे। जिसकी विरासत है उसे मिलनी चाहिए, लेकिन कोई विवाद न हो।
दिगंबर जैन साधुओं की मस्जिद परिसर में उपस्थिति का मुस्लिम युवकों ने विरोध किया।
यह स्थान अजमेर में ख्वाजा साहब की दरगाह से सटा हुआ है।
काशी विश्वनाथ की तरह अजमेर में भी हो सर्वे-डिप्टी मेयर 7 मई को सुबह सुबह अजमेर में ख्वाजा साहब की दरगाह के पास पास का माहौल तब गर्म हो गया, जब जैन आचार्य सुनील सागर महाराज अपने ससंघ के 30 साधु संतों के साथ ऐतिहासिक और विवादित ढाई दिन के झोपड़े पर पहुंचे। जैन आचार्य के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकर्ता भी बड़ी संख्या में उपस्थित थे। एक चबूतरे पर बैठ कर आचार्य सुनील सागर ने कहा कि जिसकी विरासत है, उसे मिलनी चाहिए, लेकिन इसमें कोई विवाद या झगड़ा फसाद न हो। आचार्य ने कहा कि भारत ऐसा देश है, जहां सभी धर्मों के लोग रहते हैं। हमें एक दूसरे के धर्म का सम्मान करना चाहिए। जैन आचार्य की उपस्थिति इसलिए मायने रखती है कि 1192 ईस्वी में जब देश भर में हिंदू धर्म स्थलों को तोड़ा जा रहा था, तब अजमेर में बने संस्कृत विद्यालय को भी तोड़ा गया। इतिहासकारों के अनुसार तब ढाई दिन में इस स्थान को मस्जिद में परिवर्तित कर दिया गया। तभी से यह स्थान ढाई दिन को झोपड़ा माना जा रहा है। तब संस्कृत विद्यालय को तोड़ने और मस्जिद बनाने का काम कुतुबुद्दीन ऐबक ने करवाया। ख्वाजा साहब की दरगाह के निकट होने के कारण यह स्थान अब मुस्लिम बाहुल्य हो गया है, लेकिन सनातन धर्म को मानने वाले समय समय पर ढाई दिन के झोपड़े को लेकर बयान देते रहते हैं। जयपुर के निवर्तमान भाजपा सांसद रामचरण बोहरा ने भी हाल ही में कहा था कि अब ढाई दिन के झोपड़े को फिर से संस्कृत विद्यालय बनाया जाएगा। बोहरा ने जो बात कही उसे ही जैन आचार्य सुनील सागर महाराज ने आगे बढ़ाया है। विगत दिवस जब जैन आचार्य के नेतृत्व में साधु संत और सनातन धर्म को मानने वाले ढाई दिन के झोपड़े के परिसर में पहुंचे तो पूरा माहौल सनातन धर्म के अनुरूप हो गया। माना जा रहा है कि जैन आचार्य के मार्गदर्शन में ढाई दिन के झोपड़े को लेकर कोई रणनीति बनाई जाएगी। कई जैन इतिहासकारों का मानना है कि ढाई दिन के झोपड़े में जैन संस्कृति से जुड़ी प्रतिमाएं और शिलालेख भी हैं। यदि जैन आचार्य के मार्ग निर्देशन में कोई रणनीति बनती है तो देश भर के जैन समुदाय का सहयोग मिलेगा।
मुस्लिम युवकों का विरोध:
जैन आचार्य सुनील सागर और 30 साधु संतों के साथ ढाई दिन के झोपड़े पर पहुंचने पर कोई बड़ा विवाद तो नहीं हुआ, लेकिन शुरू में कुछ मुस्लिम युवकों ने दिगंबर जैन साधुओं की उपस्थिति का विरोध किया। युवकों का कहना रहा कि यह स्थान इबादत का है, इसलिए जैन साधु अपनी धार्मिक परम्पराओं के अनुरूप मस्जिद परिसर में नहीं आ सकते। इस पर विश्व हिंदू परिषद के प्रतिनिधियों ने मुस्लिम युवाओं को समझाया और कहा कि कोई भी दिगंबर साधु अपने शरीर पर कपड़ा नहीं रख सकता है। आम लोगों को ऐतराज है तो कुछ समय के लिए इस स्थान को चटाई या चादर से ढक लिया जाए। दिगंबर जैन साधु संत तो देश भर में ऐसे ही भ्रमण करते हैं। कभी भी ऐतराज नहीं हुआ। आचार्य सुनील सागर महाराज अपने ससंघ के साथ कोई आधा घंटा ढाई दिन के झोपड़े के परिसर में रहे और जैन धर्म की शिक्षाओं के बारे में जानकारी दी।
सर्वे हो:
अजमेर के डिप्टी मेयर नीरज जैन ने कहा कि जैन आचार्य सुनील सागर महाराज का भ्रमण बहुत मायने रखता है। उन्होंने जैन आचार्य और उनके ससंघ की हिम्मत की भी दाद दी। जैन ने कहा कि जिस प्रकार बनारस में काशी विश्वनाथ मंदिर के परिसर में बनी ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का पुरातत्व विभाग ने सर्वे किया है, उसी प्रकार अजमेर के ढाई दिन के झोपड़े का भी सर्वे होना चाहिए। इस स्थान की इमारत बताती है कि यह सनातन धर्म के अनुरूप बनी है। अजमेर के ढाई दिन के झोपड़े से जुड़े विवाद की और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9414421415 पर नीरज जैन से ली जा सकती है।