13 वर्षों के बाद गुरु ने गुरुदेव को तपोभूमि पर आहार दिया
उज्जैन ! 13 साल के बाद आए आचार्य पुष्पदंतसागर जी, गुरु-शिष्य गले मिले इंदौर रोड पर प्रज्ञा सागरजी महाराज खुद अगवानी करने पहुंचे!
इंदौर उज्जैन रोड स्थित श्री 100 8 महावीर तपो भूमि पर सभी का चेहरा खिल उठा। आचार्य श्री गुरुदेव प्रज्ञा सागरजी महाराज ने स्वयं अपने गुरुदेव को लेने के लिए इंदौर रोड स्थित चौराहे पर पहुंचे और वहां पर नमोस्तु प्रणाम करते हुए समय के साथ गुरु देव गणाचार्य श्री महाराज का मंगल प्रवेश कराया।
आचार्य गुरुदेव पुष्पदंत सागर महाराज 13 साल के बाद उज्जैन आए है। तपोभूमि पर जैन समाज द्वारा गुरुदेव की अगवानी की गई। बैंड-बाजे, धर्म यात्र के साथ-साथ महिलाएं विशेष वेशभूषा में मिस पर कलश लिए आगे-आगे चल रही थी। वही पुरुष सफेद वस्त्र में चल रहे थे। आचार्य गुरुदेव एवं संघ का जगह-जगह पाद पचालन हुआ। इसके बाद गुरु की अगवानी तपोभूमि पर हुई। महाराज ने महावीर भगवान के दर्शन किए। यहां पुष्पदंत सागर महाराज के पाद प्रक्षालन प्रज्ञा सागर महाराज ने किए। आचार्य श्री 108 प्रज्ञा सागर जी महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि मेरे गुरुदेव की बात अनोखी है। वह ना-ना करते हुए भी तपोभूमि पर आए एवं हमें आशीर्वाद दिया। उनका उज्जैन आना बड़े सौभाग्य का दिन है। उन्होंने पहले उज्जैन आने के लिए स्वीकृति प्रदान नहीं दी थी लेकिन मेरे अनुरोध पर स्वयं इंदौर से उज्जैन की ओर विहार करते हुए तपोभूमि पहुंचे।
तपोभूमि पर मंगल प्रवेश के दौरान गले मिलते आचार्य पुष्पदंत सागर व प्रज्ञा सागर महाराज।
मुझे बुलाया तो मैं दौड़ता चला आया गाणाचार्य श्री 108 पुष्पदंत सागर ने प्रवचन में कहा कि अपनों का सम्मान कोई बड़ी बात नहीं लेकिन सम्मान है समर्पण का, सम्मान है अनुशास्स्न का सम्मान है, प्रेम का, सम्मान है प्रज्ञा का सम्मान उसका किया जता है, जो परिपूर्ण होता है, चाहे वह अपना हो या परामा। पजा सागर ने मुझे समर्पण भाव से तपो भूमि बुलाया और में दौड़ता हुआ चला आया। क्या आपने कभी भगवान को देखा है। भगवान को देखना है तो अपने पिता को देखो और देवी को देखना है तो अपनी माता को देखो। कार्यक्रम में विशेष रूप से अशोक जैन चाय वाला, दिनेश जैन, संजय बड़जात्या देवेंद्र सिखें, इंदरमल जैन, गिरीश बिलाला, राजेंद्र लुहाड़िया निशि जैन, रश्मि सेठी, पलाश लुहाड़िया, निखिन विनायक अवनी जैन, तनिषा जैन आदि मौजूद थे !