रॉयल पब्लिकेशन जोधपुर द्वारा जैन धर्म और उसकी प्राचीनता पर प्रहार

इंदौर ! प्राचीन भारत (नवीन सर्वेक्षण) एवं भारत का इतिहास (समग्र अध्ययन) पुस्तक मैं जैन धर्म के संबंध में असत्य और भ्रामक जानकारी रॉयल पब्लिकेशन जोधपुर द्वारा प्रकाशित भारत का इतिहास (समग्र अध्ययन) एवं प्राचीन भारत (नवीन सर्वेक्षण) नामक पुस्तक के लेखक श्री पप्पूसिंह प्रजापत एवं डॉ श्रीराम नायक द्वारा लिखित पुस्तक में जैन धर्म को नवीन धर्म लिखकर जैन धर्मावलंबियों को ब्राह्मणों का विरोधी एवं जैनों द्वारा प्रशासन व कृषि को हेय दृष्टि से देखा जाना प्रकाशित किया गया है जो कि सही ना होकर असत्य एवं कपोल कल्पित और लोगों को भ्रमित करने वाला है। जैन धर्म भारत का प्राचीन धर्म है और आर्योत्तर भारत में भी जैन धर्म का अस्तित्व था! बेहतर होता लेखक पुस्तक लिखने के पूर्व जैन धर्म, उसकी प्राचीनता और जैन धर्म के सिद्धांतों के विषय में जैन ग्रंथों का अध्ययन कर लेते अथवा किसी जैन संत या जैन विद्वान से मार्गदर्शन लेने के बाद पुस्तक का सृजन करते लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।
स्मरणीय है कि कृषि करो और ऋषि बनो का संदेश देने वाले जैन धर्म के प्रथम जैन तीर्थंकर आदिनाथ जिन्हें ऋषभदेव भी कहा जाता है और जिनका उल्लेख ऋग्वेद व अन्य कई प्राचीन हिंदू धर्म के ग्रंथों में आया है और उनके द्वारा प्रतिपादित जैन सिद्धांतों में जैन अनुयायियों को
जीवन यापन के लिए कृषि करने की अनुमति दी गई है।
विश्व जैन संगठन नई दिल्ली के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री संजय जैन द्वारा प्रकाशक रॉयल पब्लिकेशन
का इस त्रुटी की और ध्यान आकर्षित करते हुए नोटिस देकर मांग गई है कि जब तक लेखक
द्वारा पुस्तक में त्रुटी का सुधार कर पुस्तक में संशोधन ना किया जाए तब तक उसका विक्रय नहीं किया जाए अन्यथा जैन समाज उचित कानूनी कार्यवाही करने के लिए बाध्य एवं स्वतंत्र रहेगा जिसकी संपूर्ण जवाबदारी लेखक और प्रकाशक की होगी। दिगंबर जैन समाज सामाजिक संसद इंदौर के अध्यक्ष श्री राजकुमार पाटोदी, सोशल ग्रुप फेडरेशन के अध्यक्ष राकेश विनायका, महामंत्री सुशील पांड्या, शिक्षाविद संजीव जैन संजीवनी, मंत्री डॉक्टर जैनेंद्र जैन,आदि समाज जनों ने भी लेखक प्रकाशक की इस गलती को गंभीर बताते हुए पुस्तक में शीघ्र संशोधन की मांग की है।

राजेश जैन दद्दू ✍🏻
मीडिया प्रभारी
दिगंबर जैन सोशल ग्रुप फेडरेशन

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