कर्नाटका ! ( देवपुरी वंदना ) पर्दा हटाओ या ना हटाओ पर्दे के पीछे का आदमी स्पष्ट नहीं पर धुंधला जरूर नजर आता है या कहे तो मानव की आकृति दिखती ही है निष्पक्ष दर्पण देखने पर ही अपने चेहरे पर उकरे कील मुंहासे जरूर नजर आते हैं बेलगांव के समीप दिगंबर जैन नंदी पर्वत क्षेत्र पर विगत 15 वर्षों से विराजित आचार्य श्री जिनका 6 जून 1967 को दिन में कर्नाटक प्रांत के बेलगांव जिले के छोटे से ग्राम में जन्मे बहरामापाजी ने आचार्य श्री 108 कुंथु सागर जी से 22 फरवरी 1989 मैं मुनि दीक्षा लेकर अपना आत्म कल्याण व श्रावक – श्राविकाओ का कल्याण करते हुए। आचार्य श्री कामकुमारनन्दिजी महाराज ने अनेक धार्मिक-आध्यात्मिक कृतियों का सृजन किया है, जिनमें जैन धर्म के मौलिक सिद्धांत, इतिहास, भूगोल, पर्व, स्तोत्र, श्रावक धर्म, मुनि धर्म, दशलक्षण धर्म, जिन विभूति सुधा के समान विभिन्न विषय-शीर्षक शामिल हैं पर मानवीय महत्वाकांक्षा भौतिक सुख-सुविधाओं की बढ़ती लालसा मानव प्रवृत्ति को देव शास्त्र गुरु की राह से विकृत कर नाम, रूतबा, को बढ़ाने की चाह गति कालचक्र के नियम अनुरूप घड़ी की सुई को तेज कर देती है और हम उसी के चक्र को अपनी जीवनशैली में उतार लेते हैं ? विगत 2 दिन पूर्व श्रमण संस्कृति के रक्षार्थ गुरु ने जब उधार दिए गए 6,00000 /- (छह लाख ) रुपए मांगे तो उन्होंने उनका अपहरण कर करंट लगाकर हत्या करने के बाद 09 ( नौ ) टुकड़ों में तब्दील कर बोरवेल में डाल दिया..? इस प्रकार की यह पहली घटना है जो इतनी दर्द दायक है । क्योंकि श्रमण संस्कृति से उनके रुपए लेनदेन के विषय में अनेकों घटनाक्रम सुनने को मिलते हैं। एक ही स्थान पर रहना कितना उचित है..? गुरु संघ क्यों अजैन पर विश्वास करता है । क्या अजैन को अपने यहां या अपने साथ रखने से उनसे लेन देन करते वक्त व्यापारिक विचार आते हैं या अपने कृत को समाज से दूर रखने का उचित तरीका ही रहता है । यही स्थिति तीर्थ क्षेत्रों की भी होती जा रही है । साथ ही साथ आज सोशल मीडिया में अपने आपको स्थापित करने के लिए एक हवा बाज वाले प्लेट फॉर्म पर चलने के लिए कैमरा व कैमरामैन की अत्यंत आवश्यकता लगने लगी है । अधिकांश संघ मे अजैन कैमरामैन ही नजर आते हैं ..? प्रश्न यह भी उठता है कि क्या दीक्षा लेने के बाद किसी भी संत को अपनी आजीविका चलाने के लिए समाज के श्रेष्ठीयो के द्वारा दिए गए दान के रुपयों का भी उधारी व ब्याज का लेन-देन करना पड़ता है ..? जब श्रमण संघ द्वारा ही श्रावक – श्राविकाओ के विश्वास ,आस्था ,श्रद्धा ,भक्ति , के साथ खिलवाड़ कर अपनी निजी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अग्रसर रहेंगे तो उनके विशेष कृपा पात्र शिष्य या उनके क्षेत्र को संरक्षण देने वाले अजैन स्थानीय कर्मचारी भी इसी सोच को अंजाम देने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं । acharya kamkumar nandi murder धर्म ,समाज, संस्कार, संस्कृति पर इस प्रकार के दाग ,लांछन , लगने वाली चेष्टा को किस प्रकार रोका जा सकता है या दुबारा ऐसी पुनरावृति ना हो जिम्मेदार व्यक्तित्वविशेष से निवेदन है कि ऐसे विचारणीय प्रश्नों के उत्तर का समाधान कहां हो सकता है व किस प्रकार किया जा सकता है ।
Get real time updates directly on you device, subscribe now.