शिष्य में कृतज्ञता, विनय, नम्रता तथा पाप से डरने का गुण होना चाहिए —आचार्य श्री वर्धमान सागर…
राजस्थान टोंक ! (देवपुरी वंदना) भगवान श्री 1008 महावीर स्वामी की देशना केवल ज्ञान प्राप्त होने के बाद भी अनेक दिनों तक मुखरित नहीं हुई तब सोधर्म इन्द्र के माध्यम से इंद्रभूति गोतम को भगवान का समवशरण में मानस्तंभ देखकर उनका मान ओर…
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