उपाध्याय श्री 108 ऊर्जयंत सागर जी महाराज का वर्षायोग‌-2024, गुलाबी नगरी जयपुर में

महावीर जी ! जैन श्रमण परम्परा में चातुर्मास का अत्यन्त महत्व है। यह आध्यात्मिक जागृति का महापर्व है, जिसमें स्व परहित साधन का अच्छा अवसर प्राप्त होता है। यही कारण है कि वर्षवास को मुनिचर्या का अनिवार्य अंग और महत्वपूर्ण योग माना गया है। इसलिये इसे वर्षायोग अथवा चातुर्मास भी कहा जाता है। भगवती अराधना में लिखा है कि ‘वर्षाकालस्य चतुर्षुमासेषु एकत्रैवावस्थानं भ्रमण त्याग’ अर्थात वर्षाकाल के चार महीनों में साधुओं को भ्रमण का त्याग करके एक स्थान पर रहने का विधान किया गया है। इसे श्रमण के दस स्थितिकल्पों में अन्तिम पर्युषणा कल्प के नाम से अभिहित किया गया है। ‘वृहतकल्पभाष्य’ में इसे ‘संवत्सर’ कहा गया है। वर्षाकाल में आकाशमण्डल में घटायें छाई रहती हैं तथा प्राय: वर्षा भी निरंतर होती रहती है। इससे यत्र-तत्र भ्रमण तथा विहार के मार्ग रुक जाते हैं, नदी नाले उमड़ जाते हैं। वनस्पतिकाय आदि हरितकाय मार्ग ओर मैदानों में फैल जाते हैं। सूक्ष्म-स्थूल जीव-जन्तु उत्पन्न हो जाते हैं। अत: किसी भी परजीव की विराधना तथा आत्म विराधना से बचने के लिए श्रमण धर्म में वर्षाकाल में एकत्र-वास का विधान किया गया है। यही समय एक स्थान पर स्थिर रहने का सबसे उत्कृष्ट समय होता है। श्रमण और श्रावक दोनों के लिये इस चातुर्मास का धार्मिक तथा आध्यात्मिक विकास की दृष्टि से महत्व है। इसीलिये श्रमण या उनके संघ के श्रावक चातुर्मास या वर्षायोग को सर्वप्रकारेण प्रिय और हितकारी अनुभव करते हैं।

इसी क्रिया को सार्थक करते हुए वात्सल्य रत्नाकर आचार्य श्री 108 विमल सागर जी मुनिराज के अंतिम दीक्षित शिष्य पूज्य उपाध्याय श्री 108 ऊर्जयंत सागर जी महाराज का 31 वां वर्षायोग 2024 गुलाबी नगरी के दक्षिण संभाग के प्रथम द्वार श्री शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर सेक्टर 8 प्रताप नगर जयपुर में होने जा रहा है। इसकी घोषणा विगत रविवार को दोपहर दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीरजी में चातुर्मास उद्घोषणा समारोह में पूज्य उपाध्याय श्री ने करते हुए प्रताप नगर जैन समाज को चातुर्मास हेतु स्वीकृति प्रदान की।‌ इस मौके पर दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीर जी के अध्यक्ष सुधांशु कासलीवाल, मानद मंत्री सुभाष जौहरी मुनिभक्त सुखानंद काला, रूपेन्द्र छाबड़ा, बाबूलाल जैन महुआ, दौलत फागीवाला, प्रताप नगर सेक्टर 8 जैन समाज के अध्यक्ष कमलेश जैन, मंत्री महेंद्र जैन, जिनेंद्र जैन जीतू, महेश सेठी, धर्मचंद पराणा, पूरण जैन, बाबूलाल जैन आदि कई समाजसेवी मौजूद रहे।
मंच संचालन पण्डित मुकेश ने किया।

गुरुदेव का जीवन परिचय

जन्म नाम  :-  राहुल जैन
माता  :-  श्री मती इंदिरा  जी जैन
पिता :- श्री शिखर चंद्र जी जैन
जन्म ग्राम :- एटा उत्तर प्रदेश
जन्म दिनांक :- 21 अगस्त 1977
शालीय शिक्षा :- हायर सेकेंडरी
क्षुल्लक दीक्षा दिनांक  :-  24 अक्टूबर 1993
क्षुल्लक दीक्षा ग्रहण ग्राम :- एटा उत्तर प्रदेश
मुनि दीक्षा दिनांक :- 15 दिसंबर1994
मुनि दीक्षा स्थान ‌ :- सम्मेद शिखरजी झारखंड
मुनि दीक्षा  गुरु :- आचार्य श्री 108 विमल सागर जी 1915 (अंकलीकर )

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