जीवित पशु वस्तु नहीं है उनका निर्यात क्यों ..?
पशुधन आयात निर्यात विधेयक 2023 को रोका जाए ..
इंदौर ! अहिंसा धर्म को मानने वाले भारत देश को हिंदू राष्ट्र बनाने का सब्जबाग दिखाने वाली भाजपा सरकार अब जीवित पशुओं को भी वस्तु मानकर उन्हें निर्यात किए जाने के लिए संसद में पशुधन आयात निर्यात विधेयक 2023 को प्रस्तुत कर उसे पारित किए जाने की तैयारी कर रही है।
इस संबंध में भारत सरकार के मत्स्य पालन ,पशु पालन, और डेयरी मंत्रालय द्वारा विधेयक का मसौदा तैयार किया गया है जिसे संसद के इसी सत्र में प्रस्तुत किया जाना प्रस्तावित है। इस
विधेयक को लाने का मुख्य उद्देश्य अभी तक भारत से किए जा रहे मांस निर्यात के साथ-साथ अब जीवित पशुओं का भी निर्यात किया जा सके ताकि उनका वध किया जाकर मांस का उत्पादन बढ़ाया जा सके और दुनिया में मांस की मांग अनुसार आपूर्ति होकर मांसाहार को बढ़ावा मिले।
सरकार को स्मरण रखना चाहिए कि जिंदा मूक पशु कोई पंसारी की दुकान पर मिलने वाली कमोडिटी (वस्तु) नहीं है जिसका निर्यात किया जा सके? जीवित पशुओं को कमोडिटी मानकर उनका निर्यात करना संविधान की मूल भावनाओं के उपबंधों के भी विरुद्ध है। सरकार आज जीवित पशुओं को वस्तु मानकर उनका निर्यात करना चाहती है तो क्या कल जीवित इंसानों को भी कमोडिटी (वस्तु) मानकर उनका भी निर्यात करेगी?
दिगंबर जैन समाज सामाजिक संसद के मंत्री डॉक्टर जैनेंद्र जैन एवं दिगंबर जैन सोशल ग्रुप फेडरेशन के मीडिया प्रभारी संजीव जैन संजीवनी एवं राजेश जैन दद्दू ने प्रस्तावित विधेयक का विरोध करते हुए विधेयक को अहिंसा और शाकाहार में विश्वास रखने वाली जैन एवं जैनेत्तर समाज की भावनाओं को आहत और जीवित मूक पशुओं पर अत्याचार करने वाला बताते हुए विधेयक को संसद में प्रस्तुत न किए जाने की मांग की है। आपने पशुओं के प्रति करुणा एवं वात्सल्य का भाव रखने वाली एवं अहिंसा और शाकाहार में विश्वास रखने वाली समस्त समाज से आह्वान किया है कि प्रस्तावित विधेयक के विरोध में राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री, कृषि मंत्री और मत्स्य पशुपालन डेयरी मंत्री को ज्ञापन भेजकर विधेयक को रोकने की मांग करें।
✍🏻 राजेश जैन दद्दू