राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त प्रो. प्रेम सुमन जैन की पुस्तक Jainism : life with Vigilance का विमोचन हुआ
उदयपुर ! ( देवपुरी वंदना ) विज्ञान समिति, उदयपुर के तत्वावधान में देश के मूर्धन्य मनीषी प्रकृति जगत के शिखर पुरुष, राष्ट्रपति सम्मान से सम्मानित प्रो प्रेम सुमन जैन, पूर्व संकाय अध्यक्ष, प्राकृत एवं जैनविद्या विभाग, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर की पुस्तक Jainism : life with Vigilance का विमोचन हुआ।
ज्ञातव्य है कि प्रो जैन द्वारा लिखित हिन्दी पुस्तक “जतन की जिंदगी- जैन धर्म” का यह पुस्तक अंग्रेजी संस्करण है। इसका अनुवाद प्रकाशचन्द्र जैन, गांधीनगर, सेवानिवृत, उप महाप्रबंधक सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने किया है। पुस्तक का प्रकाशन बिलासपुर छत्तीसगढ़ से हुआ है।
यह विमोचन प्रो पी.एम. अग्रवाल, प्रो के.एल. कोठारी, प्रो पीयूष दशोरा, चीफइंजी. आर. के. चतुर साहब, प्रो एन. एल. कच्छारा द्वारा मंचासीन अतिथियों एवं साहित्यकारों की उपस्थिति में किया गया।
इस अवसर पर प्रो कच्छारा ने कहा कि प्रो. प्रेमसुमन जैन 81 वर्ष की आयु में भी साहित्य सृजन एवं लेखन कार्य अनवरत कर रहे हैं। मैं उनके समर्पण के लिए उन्हें धन्यवाद देता हूं साथ ही दीर्घायु, स्वस्थ जीवन की कामना करता हूं। आप सदैव इसी प्रकार जैनविद्या एवं प्राकृत साहित्य के उत्थान में निरंतर सेवा करते रहें यह हम सबके लिए गौरव की बात है।
इस अवसर पर प्रो कोठारी ने प्रो प्रेम सुमन जैन का संक्षिप्त जीवन परिचय देते हुए कहा कि आपने अब तक सताधिक पुस्तकों का लेखन संपादन और लगभग 200 से भी अधिक शोधपत्रों का प्रकाशन हो चुका हैं। आप 60 वर्ष से श्रुत-सेवा में अनवरत हैं तथा अनेक संस्थाओं में अनेक वरिष्ठ पदों पर प्रतिष्ठित होते हुए अपना मार्गदर्शन दे रहे हैं। यह साहित्यिक समाज के लिए बहुत बड़ा योगदान है।
आपके इस योगदान के लिए आपको राष्ट्रपति सम्मान सहित सैकड़ो राष्ट्रीय पुरस्कारों से विभूषित किया जा चुका है।
इस अवसर पर सभी उपस्थित विद्वानों एवं अतिथियों ने अपने विचार रखें व साहित्यिक चर्चा की।
इस अवसर पर प्रो प्रेमसुमन जैन ने सभी आगंतुक अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए पुस्तक परिचय प्रस्तुत किया व जैनविद्या एवं दर्शन के जनोपयोगी मूल रहस्य को सबके समक्ष प्रस्तुत किया। इस पावन प्रसंग पर जैनविद्या, प्राकृत भाषा साहित्य मनीषियों ने आपको सोशल मीडिया एवं दूरसंचार आदि की माध्यम से शुभकामनाएं प्रेषित की।
डॉ. मनीषा जैन, लाडनूं ✍🏻