कब तक जैन समाज सोता रहेगा..? श्रावक – श्राविकाओं की आस्था, श्रद्धा, भक्ति, के साथ खिलवाड़ कब तक होता रहेगा…
इंदौर ! ( देवपुरी वंदना) जैन मंदिर के मान स्तंभ पर जूते पहनकर इस प्रकार फुहड डांस करना कहां तक उचित है? जिम्मेदार पदाधिकारी मौन कब तक रहेंगे? जैन समाज के संस्कार, संस्कृति, आस्था, श्रद्धा, और भक्ति के साथ खिलवाड़ क्यों? आखिर कब तक ऐसी हरकत जैन समाज सहेगा? हमारे धैर्य की परीक्षा ना ले…
भारत देश का प्रशासन व अन्य समाज, जाति, धर्म, के महिला – पुरुष ऐसी हरकत कर क्या दिखाना चाहते हैं।जैन मंदिर में एक बेहद निंदनीय प्रकरण सामने आया है, जिसमें दो युवाओं ने मंदिर परिसर के अंदर अधूरे कपड़ों और जूतों के साथ नृत्य किया और एक-दूसरे को आंलिंगन किया। वायरल हो रही इंस्टाग्राम रील्स से यह स्पष्ट होता है कि दोनों युवाओं ने मंदिर परिसर की पवित्रता और जैन समाज की आस्थाओं का खुलेआम उल्लंघन किया। जैन समाज की आस्था और परंपरा के अनुसार, मंदिर एक अत्यंत पवित्र स्थल है जहाँ संयम, श्रद्धा और मर्यादा अत्यावश्यक मानी जाती है। मंदिर में प्रवेश करने से पूर्व न केवल शुद्ध वस्त्र पहनना, बल्कि पाव (जूते-चप्पल) बाहर छोड़ना, और शांतिपूर्ण आचरण अनिवार्य है। इस तरह के कृत्य से न सिर्फ समाज की भावनाएँ आहत हुई हैं, बल्कि मंदिर की गरिमा भी कलंकित हुई है।
मंदिरों में अजैनियों के प्रवेश के नियमों को और कठोर बनाया जाए ताकि इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो सके।
जनता से अपील
यदि किसी को इस घटना की सही लोकेशन, मंदिर का नाम अथवा उससे जुड़ी अन्य जानकारी है, तो कृपया तुरंत प्रशासन या देवपुरी वंदना समाचार पत्र को सूचित करें, ताकि उचित कार्रवाई हो सके। धार्मिक स्थलों की गरिमा बनाए रखना हम सबकी साझा जिम्मेदारी है।
सवाल यही है — जैन मंदिरों जैसी पवित्र जगहों पर आधुनिकता की आड़ में ऐसे अनुचित व्यवहार को कब तक सहा जाएगा? क्या अब समय नहीं आ गया कि मंदिर प्रशासन और समाज, दोनों मिलकर कठोर निर्णय लें?
आस्था की रक्षा में आपकी सजगता सबसे बड़ी भूमिका निभा सकती है।
यहां पर जूते पहनकर मान स्तंभ पर डांस का कृत्य करने वाली लड़की का नाम कशिश थापर और लड़के का नाम तुषार सिंह बोदवाल है ।