जब राहु – केतु के बीच सभी ग्रह आ जाते हैं तो कालसर्प योग बनता है : मुनि श्री पूज्य सागर जी

इंदौर ! (देवपुरी वंदना) शहर के मध्य दिगंबर जैन मोदी जी की नसियां (बड़ा गणपती) के पास स्थित परिसर में अंतर्मुखी मुनि श्री 108 पूज्य सागर महाराज के सानिध्य में पूज्य वर्षा योग धर्म प्रभावना समिति द्वारा कालसर्प विधान का आयोजन किया गया। आयोजन में विशेष रूप से 40 परिवारों ने भाग लिया और अपने कालसर्प दोष तथा राशि दोष का निवारण किया। विधान की शुरुआत भगवान का अभिषेक और शांतिधारा से हुई, जिसका सौभाग्य राजकुमार चौधरी (किशनगढ़), अतिशय गंगवाल, संजय पापड़ीवाल, संजय जैन, और कमलेश जैन को प्राप्त हुआ। इसके पश्चात भगवान श्री पार्श्वनाथ, भगवान श्री नेमीनाथ व राहु-केतू ग्रह की पूजा और कल्याण मंदिर विधान के माध्यम से 24 तीर्थंकरों एवं यक्ष-यक्षिणी की आराधना की गई। समस्त विधि-विधान का कार्य पंडित नितीश जैन के मार्गदर्शन में सम्पन्न हुआ, और मुख्य हवन कुंड में पूजा का सौभाग्य रेखा संजय जैन को प्राप्त हुआ। कालसर्प विधान में भाग लेने वाले परिवारों ने भी हवन में आहुतियां दीं, कुल मिलाकर 2100 मंत्रों के साथ आहुतियां अर्पित की गईं।
मुनि श्री ने इस अवसर पर बताया कि जब राहु-केतू के बीच सभी ग्रह आ जाते हैं तो कालसर्प योग बनता है। इसके लिए 144 प्रकार का विधान किया जाता है। विधान में सभी राशियों के अर्घ्य चढ़ाए गए और राशियों का दोष दूर करने के लिए अनुष्ठान किया गया। मुनि श्री ने बताया कि इस विधान के माध्यम से सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होगी, और जिनेंद्र भगवान की आराधना पुण्य अर्जन का माध्यम बनेगी, जिससे पाप कर्मों की निर्जरा होगी और सबके रोग, शोक, और दुख दूर होंगे। मुनि श्री ने बताया कि इस प्रकार की आराधना हमें सांसारिक कार्यों में सफलता प्राप्त करने के साथ मोक्ष की प्राप्ति में भी सहायक होती है।
इस अवसर पर इंदर सेठी, नरेंद्र वेद, भरत जैन, पवन जैन (पूर्व पार्षद), पवन पाटोदी, विकास जैन, सुनील गोधा, वीरेंद्र बड़जात्या, योगेंद्र काला, कमल काला, सोनू जैन, पारस पांड्या, और विजय जैन के साथ समाज श्रेष्ठी मौजूद थे‌!

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