भारत को विश्व की आर्थिक महाशक्ति बनाने के लिए सबसे अच्छा रॉ मटेरियल कहीं है तो वो जैन समाज में है – नितिन गडकरी

नई दिल्ली! ( देवपुरी वंदना) देश में महान विचारों वाला दूरदर्शी और अभिनव दृष्टिकोण से युक्त एक सक्षम प्रशासक जो परिणामों को प्राप्त करने में विश्वास रखता है। पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए एक प्रतिष्ठित नेता, एक मंत्री के रूप में एक बेहतरीन कलाकार – ये वह शब्द हैं जो नितिन गडकरी के व्यक्तित्व के बारे में बताते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो वह एक ऐसे नेता हैं जो लोकतंत्र को बनाए रखने और उसके उद्धार की क्षमता रखता है ! एक समारोह में जैन समाज के प्रति अपने विचार रखते हुए गडकरी जी ने कहा कि भारत को विश्व की आर्थिक महाशक्ति बनाने के लिए सबसे सबसे अच्छा रॉ मैटेरियल कहीं है तो वह जैन समाज में है । वह लेने की नहीं देने की सोचता है !

जैन” का अर्थ है – ‘जिन द्वारा प्रवर्तित ‘ जो ‘जिन’ के अनुयायी हैं उन्हें ‘जैन’ कहते हैं। ‘जिन’ शब्द बना है संस्कृत के ‘जि’ धातु से। ‘जि’ माने – जीतना। ‘जिन’ माने जीतने वाला। जिन्होंने अपने मन को जीत लिया, अपनी तन, मन, वाणी को जीत लिया और विशिष्ट आत्मज्ञान को पाकर सर्वज्ञ या पूर्णज्ञान प्राप्त किया उन आप्त अर्हंत भगवान को जिनेन्द्र या जिन कहा जाता है’। जैन धर्म अर्थात ‘जिन’ भगवान्‌ का धर्म। जिन का अन्य पर्यायवाची शब्द अर्हत/अर्हंत भी है प्राचीन काल में जैन धर्म को आर्हत् धर्म कहा जाता था।

अहिंसा जैन धर्म का मूल सिद्धान्त है। इसे बड़ी सख्ती से पालन किया जाता है खानपान आचार नियम मे विशेष रुप से देखा जा सकता है‌। जैन दर्शन में कण-कण स्वतंत्र है इस सृष्टि का या किसी जीव का कोई कर्ताधर्ता नही है। सभी जीव अपने अपने कर्मों का फल भोगते है। जैन दर्शन में भगवान न कर्ता और न ही भोक्ता माने जाते हैं। जैन दर्शन मे सृष्टिकर्ता को कोई स्थान नहीं दिया गया है। जैन धर्म में अनेक शासन देवी-देवता हैं पर उनकी आराधना को कोई विशेष महत्व नहीं दिया जाता। जैन धर्म में तीर्थंकरों जिन्हें जिनदेव, जिनेन्द्र या वीतराग भगवान कहा जाता है इनकी आराधना का ही विशेष महत्व है। इन्हीं तीर्थंकरों का अनुसरण कर आत्मबोध, ज्ञान और तन और मन पर विजय पाने का प्रयास किया जाता है।

~ दीप्ति गंगवाल✍🏻

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