जब श्रमण परंपरा की एक ही दिशा है, फिर भी महत्वाकांक्षी – गुरुभक्तो को लाभ पहुंचाने के लिए या मजबूरीवश अलग – अलग दिशा ..?
इंदौर ! (देवपुरी वंदना) जब सर्व विदित है तप, त्याग, ध्यान, साधना – आराधना और दिगंबरत्व वेष धारण कर के ही मानवीय जीवन को श्रेष्ठ बनाते हुए अपने और श्रावक -श्राविकाओं के आत्म कल्याण की दिशा एक और ही जाती है । तो फिर मुनि वेष धारण करने के पश्चात भी किसी लालच महत्वाकांक्षा व नाम, पद के लिए सब कुछ भूल कर महत्वाकांक्षी व अवसर परस्त लाभार्थीयो को उनकी योजना में हा मे हा मिलकर अपनी दिशा को छोड़कर उनकी दिशा में जाने के लिए क्यों मजबूर होना पड़ता है ? या कहीं ना कहीं दुनिया की चकाचौंध भौतिक सुख – सुविधा के साथ नाम पद की लालसा में अपनी सही दिशा छोड़ महत्वाकांक्षीयो की दिशा की सड़क पर चलना पड़ता है ! जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण यह है कि जब एक ही गुरु से दीक्षित संत एक दिशा की ओर आगे बढ़ाने के लिए निकलते हैं ! मगर रास्ते में उन्हें राह भटकाते हुए अपना लाभ खोजते रहते हैं जब गुरुवर से इस बारे में जानकारी चाहते हैं तो वह स्वयं अभिज्ञता जाहिर करते है या भक्तों का वात्सल्य कह कर गलत दिशा में निकल पड़ते हैं..?
आगामी कुछ समय पश्चात ही 20 – 21 जुलाई 2024 से तप, साधना – आराधना, ध्यान का महा चातुर्मास वर्षायोग प्रारंभ होने जा रहा है हमारे इंदौर शहर में भी पूर्व की भांति समाज बंधुओ के पुण्योदय के चलते इस वर्ष भी श्रावक की कम और गुरु भक्तों की सुविधा अनुरूप अलग-अलग स्थानो पर चातुर्मास मंगल कलश स्थापना हो रही है जिसके लिए साधु संतों का मंगल प्रवेश प्रारंभ हो चुका है ! इंदौर में ही आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी के दो परम प्रभावक शिष्य शंका समाधान स्पेशलिस्ट मुनि श्री 108 प्रमाण सागर जी ओर मुनि श्री 108 विनम्र सागर जी ससंघ का चातुर्मास आयोजन समिति अपनी सुविधा अनुसार दो अलग-अलग स्थलों पर ज्ञान की गंगा बहेगी जिससे हजारों लाखों श्रद्धालु धर्म लाभ लेते हुए अपने मानव जीवन को सार्थक करने का प्रयास करेंगे। मगर एक समाज की दशा व दिशा को देखते हुए मन में कसक या कहे दुःख के भाव आ रहे हैं जब एक ही गुरु के शिष्य अपनी अपनी सही दिशा को छोड़ आयोजकों के हाथों की कठपुतली बनकर समाज को किस दिशा की ओर। ले जाने का प्रयास कर रहे हैं यह तो वह स्वयं ही बता सकते हैं या बात को गोलमाल कर इतिश्री करते हैं । जब समाज में एक ही जगह एक ही स्थान पर धर्म लाभ मिल सकता है तो फिर अलग-अलग मंगल प्रवेश, बैंड – बाजे, घोड़े बग्गी सजावट सामग्री, टेंटडोम, टी.वी. पर लाइव और भोजन सुविधा का अलग-अलग खर्चा क्यों ? क्या इसमें कुछ विशेष मुनि भक्तों का आर्थिक लाभ का कमीशन के कारण समाज को एक नई दिशा देने का प्रयास सतत किया जाता है ? दिगंबरत्व वेष धारी साधु – संतो से इस समस्या का समाधान मिलने की उम्मीद करना भी गलत होगा क्योंकि उनका जवाब नकारात्मक सोच रखने वालों की उनकी सूची की लिस्ट में प्रथम नंबर पर आएगा .? व उनके महत्वाकांक्षी चापलूस अवसरवादी मुनि भक्तों के द्वारा मुनि विरोधी नाम से पुकारा जाना शुरू हो जाएगा । मेरा तो उन भक्तों से निवेदन पूर्वक जिज्ञासा व कलम चलाने की सोच के आधार पर एक प्रश्न है कि आप अपनी मेहनत की कमाई से किसे लाभान्वित कर रहे हो ! कमीशनखोरी करने वालों को क्यों प्रोत्साहन दे रहे हो! श्रद्धा- भक्ति नाम ,पद, की भूखी नहीं रहती इसी प्रश्नों की उलझन के समाधान मिलने की आशा में…
~ 9826649494 ✍🏻