नांदणी मे 20 जुलाई को आचार्य श्री108 विशुद्ध सागरजी संसघ का पावन वर्षा योग कलश स्थापना

उदगांव ! (देवपुरी वंदना) ऐतिहासिक पौराणिक परंपरा अनुसार चातुर्मास में श्रमण संस्कृति पद विहार रोक देते हैं और मंदिर या संत निवास पर ही रह कर व्रत और नियम का पालन करते हैं। जैध धर्म के अनुसार यह चार माह व्रत, साधना और तप के रहते हैं। इसी संस्कृति का निर्वहन करते हुए। सम्यकदर्शन, ज्ञान और चारित्र ही मोक्षमार्ग है। ऐसी बात को बहुत सरल रुप से बताने वाले आचार्य भगवन्त प.पू. आध्यात्म योगी 108 श्री विशुद्ध सागर जी महाराज यथा नाम तथा गुण रुप है। जैसा नाम है, वैसा ही आचरण है। आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज को तत्वो का इतना गहन चिन्तवन है कि जिनवाणी उनके कण्ठ मे विराजमान रहती है। आचार्य श्री के प्रवचन इतने सरल व स्यादवाद से भरे होते है कि हमारे अष्टमूल गुण तो क्या, अणुव्रत और महाव्रत तक लेने के भाव हो जाते है। इनके प्रवचन मे स्यादवाद व अनेकान्त रुपी शस्त्र से मिथ्यात्व का शमन तो सहज ही झलकता है ।आपका नांदणी भव्य मंगल प्रेवश 14 जुलाई 2024 प्रातः काल मे..
भव्य मंगल चातुर्मास कलश स्थापना 20 जुलाई 2024 को दोपहर में 1 बजे से होगी।

नमक, दही, तेल का जीवन पर्यन्त त्याग लेने वाले ‌अध्यात्मयोगी श्रमणाचार्य श्री 108 विशुद्धसागर जी महाराज जी का जीवन परिचय ‌:-
पूर्व नाम : बा.ब्र.श्री राजेन्द्र कुमार जी जैन (लला)
पिता श्री : श्री रामनारायण जी जैन (समाधिस्थ – मुनि श्री विश्वजीत सागर जी)
माता श्री : श्रीमती रत्तीबाईजी जैन (समाधिस्थ – क्षुल्लिका श्री विश्वमतिमाताजी )
जन्म स्थान : भिण्ड (म.प्र.)
गृह ग्राम : रूर
जन्म दिनांक: 18 दिसम्बर 1971
लौकिक शिक्षाः दसवीं
भाई / बहिन : पाँच 5, बहिन 2
ब्रह्मचर्यव्रतः- 16 नवम्बर 1988 तीर्थक्षेत्र बरासौं जी
क्षुल्लक दीक्षा : 11 अक्टूबर 1989, भिण्ड (म.प्र.)
नामकरण : क्षुल्लक श्री यशोधर सागर जी
ऐलक दीक्षा : 19 जून 1991, पन्ना (म.प्र.) मुनि दीक्षा : 21 नवम्बर 1991 कार्तिक सुदी पूर्णिमा
मुनि दीक्षा स्थल : तीर्थक्षेत्र श्रेयांसगिरि, जिला – पन्ना (म.प्र.) नामकरण : मुनि श्री108 विशुद्धसागर जी
आचार्य पद : 31 मार्च 2007 महावीर जयंती
स्थान : औरंगाबाद (महाराष्ट्र)
दीक्षा गुरु परम पूज्य गणाचार्य 108 श्री विराग सागर जी।
भाषाज्ञान : हिन्दी, संस्कृत, प्राकृत
साहित्य सृजन शताधिक आध्यात्मिक कृतियाँ . विहार क्षेत्र : मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़ महाराष्ट्र, कर्नाटक, राजस्थान, विहार
पग विहार : 90000 कि.मी. लगभग
न्याय – अध्यात्म शास्त्रों का अध्ययन / अध्यापन एवं मौन
साधना प्रसिद्धि : आगम एवं अध्यात्ममयी सरल – सुबोध प्रवचनकार है ।
मिरज से 18 कि.मी. , उदगाव से 9.4 कि.मी., कोल्हापुर से 40 कि.मी. है नांदणी पुण्य भूमि

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