इंदौर में प्रतिष्ठा पितामह पं. गुलाबचंद्र पुष्प जन्म शताब्दी समारोह 18-19 मई को विद्वत्संगोष्ठी

इंदौर ! पंचबालयति मंदिर इंदौर प्रतिष्ठा जगत् के सर्वश्रेष्ठ एवं सर्वमान्य प्रतिष्ठाचार्य पं. गुलाबचंद जी पुष्प ने अपने प्रतिष्ठाचार्यत्व में लगभग द्विशताधिक प्रतिष्ठायें एवं गजरथ महोत्सव सम्पन्न कराये है। सुदीर्घ जीवन काल में आपने लगभग सभी श्रेष्ठ आचार्यों, मुनिराजों, आर्यिका माता जी का आशीर्वाद प्राप्त करते हुये पंचकल्याणक प्रतिष्ठाओं को सम्पन्न कराया हैं। आपकी आगमोक्त प्रतिष्ठा विधि से सभी आचार्य एवं मुनिराजों का आपको बहुमान प्राप्त हुआ है। इनके माध्यम से विभिन्न प्रदेशों में कई जिनालयों का निर्माण किया गया है। आपने संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी से प्रतिमा व्रतों को अंगीकार कर अपना संयम मार्ग प्रशस्त किया। आपने अपने सभी पुत्रों को आधुनिक शिक्षा एवं संस्कारों की सौगात देते हुये उन्हें इंजीनियर, डॉक्टर जैसे विशिष्ट पदों पर शोभायमान किया है। वर्तमान में आपकी धरोहर को सहेजते हुये ब्र. जयकुमार निशांत भैया जी ने आपके गौरव को बढ़ाया है।
जीवन के उत्तरार्द्ध को आपने पंचबालयति जिनालय में साधना एवं स्वाध्याय पूर्वक सभी का कल्याण पथ निर्दिष्ट करते हुये बिताया है। आपने इस विद्या को संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी के आशीर्वाद से ब्र. अशोक भैया लिधौरा, ब्र. विनय भैया बंडा, ब्र. अभय भैया मंडला, ब्र. जयकुमार निशांत टीकमगढ़ एवं ब्र. प्रदीप भैया अशोकनगर को प्रदान कर जिनशासन की महती प्रभावना की है।
पं. गुलाबचंद जी पुष्प की भावनानुसार पुष्प परिवार एवं नवागढ़ समिति ने दिनांक 01 जुलाई 2021 को माता पिता के अभाव ग्रस्त तथा आर्थिक विपन्नता वाले प्रतिभाशाली छात्रों को धार्मिक संस्कारों के साथ आधुनिक शिक्षा (अंग्रेजी माध्यम) निःशुल्क प्रदान करने का संकल्प लिया है। जिसमें 6वीं से 9वीं तक के 48 छात्र श्री नवागढ़ गुरुकुलम् में शिक्षण प्रशिक्षण प्राप्त कर अपने जीवन को मंगलमय बना रहे हैं।
आपके द्वारा निर्देशित एवं ब्र. जयकुमार निशांत भैया जी द्वारा संपादित प्रतिष्ठा पराग, यागमंडल विधान, व्रत वैभव
एवं प्रतिष्ठा पुष्प आदि ग्रंथ सभी प्रतिष्ठाचार्यों एवं सुधी श्रावकों के अनुष्ठान का आधार हैं। पुष्प जी की प्रेरणा से शताधिक ब्र. भैया एवं विद्वान आगमोक्त अनुष्ठान विधि में संलग्न हैं। आपके द्वारा अन्वेषित प्रागैतिहासिक अतिशय क्षेत्र नवागढ़ जिला ललितपुर आज जैन इतिहास, संस्कृति,
पुरातत्त्व, मूर्तिशिल्प एवं पुरा सम्पदा का केन्द्र है। जहां ब्र. जयकुमार निशांत भैया एवं नवागढ़ समिति द्वारा देश के प्रख्यात इतिहासविद्, पुराविद एवं विद्वानों को आमंत्रित कर जिनशासन के विशिष्ट आयाम अन्वेषित किये गये हैं, जिनमें पुरापाषाण कालीन औजार, शैलाश्रय, शैलचित्र, उत्कीर्ण आर्ट, मूर्ति शिल्प, चंदेल बावड़ी, विभिन्न लघु पहाडियाँ, मुकुट शीर्ष, धातु, काष्ठ एवं मिट्टी के उपकरण जिनशासन की महिमा गुप्त काल (तीसरी सदी) से आज तक यशस्वी बना रहे हैं।
आपने जीवन के अंतिम समय में आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी से संल्लेखना व्रत लेकर दिनांक 05 जनवरी 2015 को समस्त आवश्यक क्रियायें करते हुये देह परिवर्तन किया है। इस वर्ष को जन्म शताब्दी वर्ष के रूप में मनाते हुये समस्त दिगम्बर जैन समाज की प्रमुख संस्थाओं के सहयोग से पुष्प परिवार ने सिद्धचना (सिद्धचक्र विधान) राष्ट्रीय विद्वत् संगोष्ठी एवं ग्रंथ प्रकाशन करने का संकल्प लिया है। इसी श्रृंखला में श्री दिगम्बर जैन पारमार्थिक एवं धार्मिक ट्रस्ट, श्री दिगम्बर जैन युवक संघ, श्रुत सिद्धांत शोध पीठ, अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन शास्त्री परिषद्, पं. गुलाबचंद जी पुष्प प्रतिष्ठाचार्य स्मृति ट्रस्ट, श्री नवागढ़ गुरुकुलम् के माध्यम से द्वि दिवसीय कार्यक्रम डॉ. श्रेयांस कुमार जी जैन बड़ौत के निर्देशन में, ब्र. रतनलाल जी की अध्यक्षता एवं ब्र. जिनेश मलैया, पं. विनोद कुमार रजवांस के संयोजकत्व में सम्पन्न किया जा रहा है।
दिनांक 18 मई 2024 प्रातः 8 बजे प्रथम सत्र का मुख्य आतिथ्य श्रीमान् राकेश कुमार जी जैन मजिस्ट्रेट एवं दोप. सत्र का मुख्य आतिथ्य श्रीमान् कुलदीप जैन मजिस्ट्रेट कर गौरव बढ़ायेंगे।
दिनांक 19 मई 2024 प्रातः 8 बजे प्रथम सत्र का मुख्य आतिथ्य डॉ. रेणु जैन कुलपति (देवी अहित्या विश्वविद्यालय इंदौर) दोप. सत्र का मुख्य आतिथ्य डॉ. संगीता मेहता इंदौर कर गौरव बढ़ायेंगे।

विस्तृत जानकारी के लिए संपर्क करें :- ब्र. जिनेश मलैया – मो. नं. 8989505108

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