आचार्य श्री 108 पुलक सागर जी को अब “तीर्थ दिवाकर” से भी जाना जाएगा

सुरत ! भारत गौरव परम पूज्य आचार्य श्री 108 पुलक सागर जी को‌ “तीर्थ दिवाकर ” की उपाधि से अलंकृत.किया गया राष्ट्रसंत श्री 108 विद्यानन्द स्वामी दिगम्बर जैन देहरासर अतिशय क्षेत्र कतारगाम ट्रस्ट सूरत द्वारा आयोजित श्री 1008 मजिनेन्द्र पंच कल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के अवसर पर सकल जैन समाज सूरत एवं श्री विद्यानन्द स्वामी ट्रस्ट कतारगाम सूरत के द्वारा पूज्य मनोज्ञाचार्य श्री पुलक सागर जी महाराज को सम्मान सविनय पूर्वक अपार जनसमूह के मध्य “तीर्थ दिवाकर” की उपाधि से अलंकृत किया गया । ‌

भारत गौरव आचार्य श्री108 पुलक सागरजी का दीक्षा से पहले का नाम: पारस जैन
जन्मतिथि: 11 मई 1970
जन्म स्थान: धमतरी, छत्तीसगढ़
पिता का नाम: स्वर्गीय भीकमचंद जैन
माता का नाम: श्रीमती गोपी बाई जैन
शैक्षिक योग्यता: कला स्नातक (जबलपुर) ब्रह्मचर्य व्रत
27 जनवरी 1993
ब्रह्मचर्य श्री: आचार्य श्री 108 विद्या सागरजी महाराज
ऐलक दीक्षा ग्रहण: 27 जनवरी 1994
दीक्षा स्थान: ग्वालियर, मध्य प्रदेश
मुनि दीक्षा: 11 दिसंबर 1995
दीक्षा स्थान: कानपुर, उत्तर प्रदेश
दीक्षा गुरु:गणाचार्य श्री 108 पुष्पदंत सागर महाराज
जैन समुदाय के कल्याण और जागृति के लिए मुनि श्री पुलक सागरजी महाराज की अनमोल प्रेरणा के तहत दो संगठन पूरे देश में सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं।
इन संगठनों के नाम हैं:
1. पुलक जन चेतना मंच एवं
2. जैन महिला जागृति मंच

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