संपादकीय …. दादी की स्मृति में बाहरवे पर मृत्यु भोज के स्थान पर किया रक्तदान

अपनों को खोने के गम में उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए मृत्युभोज की परंपरा है। मगर मृत्युभोज की जगह द्वादशी पर रक्तदान की अनूठी पहल भीलवाड़ा के एक तिवारी परिवार के युवाओं ने की। औद्योगिक नगरी भीलवाड़ा में मंगलवार को यह अनूठा रक्तदान शिविर देखने को मिला। अपनी दादी सरला तिवारी के निधन पर आईआईटीयन पौत्र दिविर तिवारी ने मिलकर द्वादशी के दिन मृत्यु भोज की जगह रक्तदान का सुझाव परिजनों के सामने रखा। सभी ने खुशी-खुशी पुनीत काम में सहमति दी। परिवार के बच्चों से लेकर वरिष्ठजन तक रक्तदान करने के लिए रक्तदान करने लगे।


समाजसेवी दिविर तिवारी का कहना है कि अपनों के निधन पर मृत्यु भोज किया जाता है इससे किसी का भला नहीं होता है। मगर रक्तदान कर कर हम लोगों का समाज का भला कर सकते है इसलिए मैं सभी लोगों से अपील करूंगा कि किसी के भी निधन पर मृत्यु भोज की जगह ऐसे रक्तदान और दूसरे समाज सेवा के काम कीये जाए जिससे लोगों का भला हो और आत्मा को सच्ची श्रद्धांजलि मिल सके। पौत्र वधू कुमकुम तिवारी ने कहा कि मेरी दादीसास का निधन हुआ जिसका द्वादशी पर आज कार्यक्रम रखा गया मगर मुझे लगता है कि रक्तदान से बड़ा कोई दान नहीं है हमारे परिवार के सभी सदस्यों ने आज रक्तदान कर हमारी दादीसास को श्रद्धांजलि दी है। समाज के सभी वर्गों से अपील करती हूं वे मृत्यु भोज नहीं करके ऐसे काम करे जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगों का भला हो सके।
देवपुरी वंदना समाचार परिवार सभी जागरूक पाठकों से निवेदन करता है कि मानव हित हेतु यह एक अनुकरणीय पहल है जिसे सभी को जागृत करते हुए मानव सेवा के लिए पहल करना चाहिए

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