दीक्षा आध्यात्मिक जीवन का प्रवेश द्वार है :- आचार्य श्री 108 वर्धमान सागर जी

धामनोद ! ( देवपुरी वंदना ) नोकरी करने से धर्म के संस्कार नही मिलते संयम से जीवन को सार्थक करने की भावना उत्पन्न होती है इसके लिए उम्र नही देखी जाती है जिनके जीवन मे भाव उठते हैं वह जीवन को समर्पित करते है तीर्थंकर देवो को वैराग्य उत्पन्न होता है लौकांतिक देव अनुमोदना करते है उसी प्रकार साधना दीदी ने आर्यिका दीक्षा लेने की भावना व्यक्त की है आप सभी अनुमोदना कर रहे है । ऐसे कार्यक्रम से धर्म प्रभावना तथा औरों को भी प्रेरणा मिलती है
यह प्रभावशाली ह्रदयस्पर्शी उदबोधन वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री 108 वर्द्धमान सागर जी ने महती धर्म सभा मे प्रगट किये !
इसके पूर्व संघस्थ  सनावद की बेटी महेश्वर की बहू साधना दीदी ने आर्यिका दीक्षा हेतु श्रीफल चढ़ाया आपने अपनी भावना व्यक्त कर कहा कि आचार्य श्री गुरुवर के श्री चरणों में बारंबार नमोस्तु समस्त संघ को नमोस्तु वन्दामि इक्छामी  मैं अपने को अत्यंत ही सौभाग्यशाली मानती हूं कि जैन कुल में मेरा जन्म हुआ धार्मिक पारिवारिक संस्कारों के बीज पल्लवित होकर सांसारिक बंधनों के बाद मुक्ति रमा को वरने हेतु संसार समुद्र की वैतरणी को पार करने के लिए वात्सल्य वारिधि आचार्य गुरुवर श्री 108 वर्धमान सागर जी जैसी नौका का सहारा मिला है।मेरा संसार में जन्म तो कई वर्षों पहले हो चुका है लेकिन मेरा वास्तविक रूप से जन्म लेने का अवसर अब आया है जब मैं आज वैराग्य और संयम पथ पर आगे बढ़ने के लिए अपने गुरु विश्व वंदनीय पंचम पट्टा धीश आचार्य श्री 108 वर्धमान सागर जी के श्री चरणों में उनके द्वारा दीक्षित हो सके इस अभिलाषा के बाद बारंबार नमोस्तु करते हुए निवेदन करते हुए गुरुवर मुझे दीक्षा की स्वीकृति प्रदान कीजिए इस संसार समुद्र से पार हो सके ऐसा आशीर्वाद प्रदान कीजिए नमोस्तु गुरुदेव नमोस्तु गुरुदेव
धर्मसभा में मंगलाचरण श्रीमती प्रणति प्रीति प्रधान प्रीति पीयूष अंकिता निकिता सोना जैन ने किया ।
इसके पूर्व साधना दीदी एवम कंठाली परिवार द्वारा पंचम पट्टाधीश आचार्य श्री 108 वर्द्धमान सागर जी के चरणों का पंचामृत प्रक्षालन किया गया । प्रथमाचार्य आचार्य श्री108 शांति सागर जी सहित सभी पूर्वाचार्यो को अर्ध संघस्थ दीदियों परिजनों धामनोद महेश्वर बड़वाह खंडवा धार इंदौर सनावद भोपाल जयपुर समाज द्वारा अर्पित किया गया
आचार्य श्री की भव्य ऐतिहासिक पूजन की गई जिसमे स्थापना जल ,चंदन, अक्षत ,पुष्प ,दीप ,नैवे्ध व धूप अर्ध अर्पित किया गया संघ में निस्वार्थ चिकित्सा सेवा भावी डॉ. श्री देवेंद्र जैन इंदौर का शाल श्रीफल माला, प्रतीक चिन्ह से स्वागत किया गया वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री 108 वर्द्धमान सागर जी ने धार्मिक ग्रंथ आशीर्वाद सहित दिए कार्यक्रम का कुशल संचालन श्रीमती आरती एवम श्री अजय पंचोलिया इंदौर ने किया! दिनांक 22 अप्रैल 2022 को दो प्रतिमा धारी संघस्थ साधना दीदी द्वारा आचार्य श्री को आर्यिका दीक्षा हेतु श्रीफल चढ़ा कर निवेदन किया गया वैराग्य मयी पलो को देखकर जहाँ परिवार की आखों में खुशी के आंसू थे वही अनेक की आँखे नम थी इस अवसर पर श्रीमती पूर्वा समर कंठाली सावन जैन परिवार द्वारा भव्य अष्ट द्रव्यों से दोपहर को पूजन संगीत के साथ की गई उल्लेखनीय है कि साधना दीदी के पिताजी ने भी आचार्य श्री 108 वर्द्धमान सागर जी से दीक्षा लेकर मुनि श्री 108 चारित्र सागर जी बने  वही आपकी भतीजी भी आचार्य श्री 108 से दिक्षित होकर आर्यिका श्री  महायशमती जी होकर संघस्थ है साधना दीदी ने वर्ष 2021 में दो प्रतिमा के नियम आचार्य श्री 108 वर्द्धमान सागर जी से कोथली में लिए  वर्ष 2016 में पावागिरी ऊन (मध्य प्रदेश) के पंच कल्याणक में तप कल्याणक के दिवस 5 वर्षो में संन्यास मार्ग पर चलने की भावना आचार्य श्री 108 वर्द्धमान सागर जी के समक्ष व्यक्त की थी! विगत 2 वर्षों से संघ में शामिल है।

राजेश पंचोलिया इंदौर
वात्सल्य वारिधि भक्त परिवार

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