भीलवाड़ा मे महावीर गाथा का 7 अप्रैल से आयोजन, महावीर जैसा होना चाहिए हमारा चरित्र- प्रवीणऋषि
भीलवाड़ा ! (देवपुरी वंदना) महावीर गाथा भगवान महावीर बनने की कथा है, ये महावीर का प्रवचन नहीं महावीर की उसी तरह गाथा है जिस तरह भागवत कथा और रामकथा होती है। भगवान महावीर जन्म कल्याणक महोत्सव पर भीलवाड़ा में पहली बार इसका आयोजन 7 से 14 अप्रेल 2022 तक होने जा रहा है। ये कथा प्रतिदिन रात 8.30 से 10 बजे तक शहर के आजाद चौक में होगी।
ये जानकारी महावीर गाथा के कथाकार उपाध्याय प्रवीणऋषि मसा. ने मंगलवार दोपहर शांति भवन में श्रीवर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में आयोजित पत्रकार वार्ता में दी। उन्होंने कहा कि विरोध प्रायः गलतफहमी के कारण होता है जिसे दूर करने की जरूरत होती है। महावीर गाथा कथा है इस बात की किस तरह महावीर बना जा सकता है। प्रायः हम छोटी-छोटी बातों पर निराश एवं हताश हो जाते है, किस तरह प्रतिकूल परिस्थितियों में हताश होने की बजाय उसे जीता जा सकता है ये संदेश महावीर चरित्र से मिलता है। उपाध्याय प्रवीण ऋषि मसा. ने कहा कि भगवान महावीर स्वयं खुले में रहे एवं संदेश भी हमेशा खुले में दिया इसलिए महावीर गाथा का वाचन भी खुले में आजाद चौक में रखा गया है। उन्होंने बताया कि वह 1992 से हर वर्ष महावीर गाथा करते आ रहे है एवं वर्ष 1997 से रात में महावीर गाथा की जा रही है। भीलवाड़ा में इसका आयोजन पहली बार किया जा रहा है। तीर्थंकर महावीर किसी धर्म या पंथ-सम्प्रदाय के नहीं बल्कि सबके है इसका अहसास कराने के लिए इस कथा का आयोजन किया जा रहा है। मुनिश्री ने कहा कि वर्तमान में हर तरफ संघर्ष एवं अविश्वास का माहौल है, ऐसे में परिवर्तन तभी आएगा जब उनके पास कोई ऐसा चरित्र होगा जो उनको जिम्मेदार बनाएगा। ऐसा जिम्मेदार बनाने का चरित्र महावीर गाथा है। उन्होंने कहा कि जब परम्परा के साथ जुड़ेगे तो संकीर्ण हो जाएंगे और परमात्मा के साथ जुड़ेंगे तो विराट हो जाएंगे। महावीर एक आसमान है और परम्परा एक गली है। महावीर कोई श्वेताम्बर-दिगम्बर नहीं केवल महावीर है। महावीर के साथ जुड़ना है तो महावीर बनना होगा। उपाध्याय प्रवीण ऋषि मसा. ने कहा कि महावीर गाथा किसी पंथ-सम्प्रदाय की कथा नहीं है बल्कि सकल समाज की ओर से इसका आयोजन किया जा रहा है। सभी धर्म-समाज के लोगों को इस गाथा के आयोजन में जोड़ा जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमारा चरित्र महावीर जैसा होना चाहिए। जो दूसरों के कंधों पर सवार होकर रास्ता नापते है वह श्मसान पहुंच जाते है और जो अपने कदमों से चलते है वह मंजिल को पाते है। महावीर अपने जीवन में स्वयं चले वह दूसरों पर निर्भर नहीं रहे। उन्होंने कहा कि प्रवचन दिमाग में पहुंचता है जबकि कथा दिल में पहुंचती है, बात दिल तक पहुंचती है तो जीवन बदलता है। उन्होंने कहा कि तीन दशक से महावीर गाथा करने से उनकी पहचान महावीर कथा के कथाकार के रूप में अधिक बन गई है।
मानवतावादी कथा है महावीर गाथा
पत्रकार वार्ता में राष्ट्रसंत कमलमुनि कमलेश ने कहा कि दुनिया में हथियारों से नहीं विचारों से शांति आएगी। भगवान महावीर के विचार पहले भी प्रासंगिक थे और आज भी प्रासंगिक है। महावीर कथा मानवतावादी कथा है। उन्होंने कहा कि संत मानवता के उत्थान के लिए कार्य करते है। अस्सी हजार किलोमीटर की पदयात्रा कर सभी धर्मो के प्रतिनिधियों से चर्चा कर न्यूनतम साझा कार्यक्रम बनाया जा रहा है। इसके तहत समाज को नशामुक्त बनाने के साथ हर नागरिक को देशभक्त बनाना है। जो देशभक्त नहीं हो वह धार्मिक नहीं हो सकता। पर्यावरण की रक्षा के साथ आतंकवाद, भ्रष्टाचार व अश्लीलता के खिलाफ वैचारिक क्रांति का शंखनाद है। महावीर कथा भी उसी वैचारिक क्रांति का अंश है। संत समाज व देश की रक्षा के लिए सैनिक की भांति काम कर रहे है।
सत्ता व संपति के पीछे दौड़ने वाला नहीं हो सकता संत
एक सवाल के जवाब में उपाध्याय प्रवीणऋषि ने कहा कि सत्ता व संपति के पीछे दौड़ने वाला संत नहीं हो सकता। ऐसे लोगों से संतत्व लांछित होता है। संत सत्य व साधना की खोज में चलता है। स्वार्थपूर्ति के लिए धर्म का उपयोग करने वाला संत नहीं हो सकता। जो कंचन व कामिनी से मुक्त हो वह ही संत हो सकता है। पत्रकार वार्ता में तीर्थेश मुनि, महासाध्वी मधुकंवर मसा, साध्वी चिंतनश्री आदि का भी सानिध्य प्राप्त हुआ। पत्रकार वार्ता में श्रीसंघ शांति भवन के मंत्री राजेन्द्र सुराणा ने बताया कि उपाध्याय प्रवर प्रवीणऋषिजी म.सा. के मुखारबिंद से महावीर गाथा का आयोजन 7 से 14 अप्रेल तक भीलवाड़ा के आजाद चौक में रात 8.30 से 10 बजे तक किया जाएगा। इसके लिए तैयारियां पूरी कर ली गई है। उन्होंने कहा कि कथा को सफल बनाने में मीडिया का सहयोग बहुत जरूरी है। आभार श्रावक संघ के अध्यक्ष राजेन्द्र चीपड़ ने माना ।