दिल्ली में भावलिंगी आचार्य श्री 108 विमर्श सागर जी महाराज ससंघ का चातुर्मास होगा
दिल्ली ! पावन चातुर्मास (वर्षायोग) 2024 का शुभ अवसर 20 जुलाई से आ रहा है। जीवन है पानी की बूंद (महाकाव्य) : ‘अंतर्मुखी शुभांग’ निग्रंथराज के अपरिमित व्यक्तित्व का एक अहम् पक्ष है उनकी ‘अप्रतिम काव्य’ साधना पूज्य श्री के कविहृदय से निःस्त एक-एक शब्द जीवन्त कविता का प्रणयन करता है।
भावलिंगी गुरुदेव की भाव साधना
लोकोद्योतक संत : श्रमण संस्कृति का अविरल प्रवाह अनादिकाल से भगवान महावीर स्वामी तक और भगवान वर्द्धमान स्वामी से वर्तमान तक निरंतर प्रवाहमान है। आरातीय आचार्यों के पावन तटों से होती हुई यह ‘श्रमण गंगा’ जिनश्रुत को पल्लवित और पुष्पित करती आई है। इस ‘श्रमणगंगा’ में स्नान कर अनेकानेक भव्य मुमुक्षु स्वयं तीर्थ बन गये, और अनेकानेक ‘श्रमण सपूत’ वर्तमान में स्वयं की और दूसरों की आत्मा को तीर्थ बनाने का पुरुषार्थ कर रहे हैं। पंचमकाल के ‘अध्यात्म पुत्र’ आचार्य भगवन् कुंदकुंद स्वामी का ‘अध्यात्म अमृत’ हो या फिर आचार्य भगवन् पुष्पदंत और भूतबली स्वामी द्वारा लिपिबद्ध सिद्धान्त ग्रंथों की गौरवमयी विरासत हो जितना भी जिनश्रुत का अंश वर्तमान में सुरक्षित है, उसका सारा श्रेय हमारे पूर्ववर्ती आचार्यों की करुणाशीलता को ही जाता है। इन्हीं पूर्ववर्ती आचार्यों की महान परम्परा में बीसवी सदी के महान आचार्य श्री आदिसागर जी अंकलीकर की विशाल आचार्य परम्परा में एक ज्येष्ठ और श्रेष्ठ आचार्य हैं। सूरिगच्छाचार्य श्री 108 विरागसागर जी महाराज, उनके श्रेष्ठ शिष्यों की अनुपम श्रृंखला में श्रेष्ठ साधक, अध्यात्म के संवाहक, निस्पृहयोगी, परमपूज्य श्रमणाचार्य 108 श्री विमर्शसागर जी महामुनिराज शिष्यों की सुंदर परिभाषा और सद्गुरु का वृहद स्वरूप हैं। पूज्य श्री ने अल्पवय में ही कलिकाल का सबसे बड़ा चमत्कार कर दिखाया, जिसका नाम है ‘दिगम्बरत्व’।
~ संक्षिप्त परिचय ~
जन्म : गुरूवार 15 नवम्बर 1973
जन्म नाम : राकेश जैन
जन्म स्थान : जतारा जिला टीकमगढ़, म.प्र.
माता जी नाम : श्रीमती भगवती देवी जैन
पिताजी नाम : श्री सनत कुमार जैन
ब्रह्मचर्य व्रत : फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी सोमवार, 27 फरवरी 1995
ऐलक दीक्षा : फाल्गुन शुक्ल पंचमी, शुक्रवार 23 फरवरी 1961
ऐलक दीक्षा स्थान : देवेन्द्र नगर (पन्ना)
ऐलक दीक्षा गुरु : आचार्य श्री 108 विराग सागर जी महाराज
मुनि दीक्षा : पोष कृष्णा ग्यारस , सोमवार दिनांक 14 दिसंबर 1998
मुनि दीक्षा स्थान : बरासों (भिंड)
मुनि दीक्षा गुरु : आचार्य श्री 108 विराग सागर जी महाराज
आचार्य पद : 12 दिसंबर 2010, दिन रविवार मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी
आचार्य पद स्थान : बाँसवाड़ा राजस्थान
आचार्य पद प्रदाता : आचार्य श्री 108 विराग सागर जी महाराज